श्रीनगर : आज पांच अगस्त है. ऐतिहासिक दिन. यह तारीख एक साल पहले भी ऐतिहासिक थी और आज भी. एक साल पहले वाला 5 अगस्त इसलिए ऐतिहासिक था कि आज ही के दिन सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला किया था. घाटी को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के इस अनुच्छेद के हटने का आज एक साल पूरे हो गया हैं. अधिकारियों ने बताया कि शांति भंग करने के अलगाववादियों के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए पुलिस और सीआरपीएफ के कर्मी घाटी में बड़ी संख्या में तैनात हैं.
अधिकारियों ने बताया कि सुबह होते ही लाउड स्पीकर से लैस पुलिस वाहन विभिन्न इलाकों में गए और घोषणा की कि कोविड-19 महामारी को नियंत्रण में करने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. पुलिस ने कहा, ‘तीन से ज्यादा लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी गयी है. लोगों से कानून का उल्लंघन नहीं करने और घरों में ही रहने की अपील की जा रही है.’ अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर शहर समेत घाटी के सैंकड़ों स्थानों पर बेरिकेट लगाए गए हैं, ताकि जरूरी सेवाओं और आपात सेवा की गतिविधियों को नियमित किया जा सके. वहीं, बेरिकेट वाले कंटीले तार रास्ते के कुछ हिस्सों को बंद करने के लिए लगाए गए हैं.
काला दिवस मनाने की तैयारी में था पाकिस्तान समर्थक ग्रुप
श्रीनगर में अधिकारियों ने सोमवार को कहा था कि अलगाववादियों और पाकिस्तान समर्थक समूहों द्वारा पांच अगस्त को काला दिवस मनाए जाने की योजना है और इससे जीवन और संपत्ति को खतरा होने की गुप्त सूचना के बाद श्रीगर में कर्फ्यू की घोषणा की गयी. हालांकि, कर्फ्यू वाले आदेश को मंगलवार शाम वापस ले लिया गया. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि कर्फ्यू वापस लेने का फैसला मंगलवार को दिन में स्थिति शांतिपूर्ण रहने के बाद लिया गया.
फारूक अब्दुल्ला ने घर पर बुलायी कश्मीरी नेताओं की बैठक
उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी किए जाने के बाद उत्पन्न हालात पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को कुछ राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी थी, लेकिन प्रशासन द्वारा लागू सख्त पाबंदी के कारण यह आयोजित नहीं हो पायी. अब्दुल्ला ने विशेष दर्जा बहाली के लिए संयुक्त राजनीतिक रणनीति बनाने के वास्ते गुपकर रोड स्थित अपने आवास पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था.
फारूक के घर से लौटाए गए कश्मीरी नेता
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने बताया कि दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी और पीडीपी के राज्यसभा सदस्य फयाज मीर को जिले में कोविड-19 महामारी के कारण प्रशासन द्वारा लगायी गयी पाबंदी का हवाला देकर गुपकर रोड से लौटा दिया गया. उन्होंने बताया कि माकपा नेता एमवाई तारिगामी, उत्तरी कश्मीर में बारामूला से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अकबर लोन और अब्दुल्ला के भतीजे तथा अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मुजफ्फर शाह को उनके आवासों के पास रोक दिया गया और आगे नहीं जाने दिया गया.
उमर अब्दुल्ला ने किया ट्वीट
पूर्व मुख्यमंत्री और फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर कहा कि कश्मीर में प्रशासन ने बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं दी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनके और उनके पिता के आवास की ओर जाने वाली गुपकर रोड को प्रशासन ने सील कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने सुनसान सड़क की दो तस्वीरें भी पोस्ट कीं.
BJP displaying its hypocrisy. They can gather & celebrate. The rest of us can’t even meet to discuss what’s happening in J&K. https://t.co/M3aj4glqax
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 5, 2020
उमर ने फोटो किया शेयर
उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक साल हो चुके हैं. यह आज का गुपकर रोड है. हमारे दरवाजे के ठीक सामने पुलिस के वाहन हैं. सड़क पर कुछ-कुछ दूरी पर कंटीले तार लगाए गए हैं और गाड़ियों को अनुमति नहीं है. मेरे पिता ने मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए मुख्यधारा के दलों के नेताओं की बैठक बुलायी थी.’ उन्होंने कहा, ‘साफ है कि बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गयी. भाजपा पांच अगस्त के उपलक्ष्य में 15 दिनों का जश्न मना रही है और मेरे पिता के लॉन में हमें बैठक की अनुमति नहीं दी गयी. भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को हैरानी हो रही कि यहां राजनीतिक गतिविधियां क्यों नहीं हो रही है.’
In Pics-Strict restrictions in Srinagar:
— Umar Ganie (@UmarGanie1) August 5, 2020
Police & CRPF personnel deployed to enforce curbs in Srinagar on August 05. Roads leading to the residence of National Conference president Farooq Abdullah his son @OmarAbdullah & @jkpdp office were sealed with concertina wires.#Kashmir pic.twitter.com/BHqe8FVpXN
उमर ने ट्विटर पर कही ये बात
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि प्रशासन उन्हें बैठक करने या सामान्य राजनीतिक गतिविधियां आयोजित करने की अनुमति देने से भी डर लग रहा है. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘एक साल बाद भी प्रशासन हमें सामान्य राजनीतिक गतिविधियां आयोजित करने की अनुमति देने से डर रहा है. यह डर कश्मीर में जमीनी स्थिति को बयां करता है.’
महबूबा की बेटी इल्तिजा ने कही ये बात
बहरहाल, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि चुप रहने के लिए मजबूर किया गया है लेकिन इससे कश्मीर के लोगों की भावनाएं लंबे समय तक दबी नहीं रह पाएंगी. इल्तिजा ने अपनी मां के ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया, ‘एक साल पहले बहुसंख्यकवादी सरकार ने दिन-दहाड़े जम्मू-कश्मीर को कुचल दिया और डाका डाला. मौसम भले बदल गया है, लेकिन विश्वासघात को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. चुप रहने को मजबूर किया गया है, लेकिन इससे भावनाएं नहीं दबेंगी.’ पिछले साल अगस्त में महबूबा को हिरासत में रखे जाने के बाद से इल्तिजा ने उनका ट्विटर हैंडल संभाल रही हैं.
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