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Online Gaming: स्मार्ट, एजुकेटेड और अप टू डेट युवा वर्ग को बर्बाद कर रही है  

एक अनुमान के मुताबिक 2016 में जहां फैंटेसी स्पोर्ट्स खलेने वालों की संख्या 20 लाख थी, वह अब 2024 में 24 करोड़ पहुंच गई है और 2027 तक यह संख्या भारत की जनसंख्या के एक तिहाई यानी कि 50 करोड़ हो जाएगी. मोबाइल के Android & IOS पर कई बैटिंग एप्स हैं, जिन पर लोग लाखों-करोड़ों रूपए लुटा रहे हैं.

By Anjani Kumar Singh | November 13, 2024 8:17 PM

Online Gaming: ऑनलाइन गेमिंग के के कारण लोगों के बर्बाद होने और आत्महत्या करने की खबरें पूरे देश से आती रहती है. भारत में लगभग दो-तिहाई सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की है और Young Generation इतनी Digital Friendly  है कि शौक-शौक में खेलते हुए वह ऑनलाइन गेम के दलदल में कब फंस जाती है, पता ही नहीं चलता. यहां तक कि 10-15 आयु वर्ग के बच्चों को भी इसका नशा हो गया है. रातों-रात मालामाल होने के चक्कर में ये फंस जाते हैं, जिससे निकलना आसान नहीं है. लाॅटरी की तरह ऑनलाइन गेमिंग पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिये समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोग एक मंच पर आकर इसके खिलाफ अभियान चलाने का फैसला लिया है. एक अंक की लाॅटरी पर प्रतिबंध लगवाने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने अब ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ अभियान छेड़ने का फैसला लिया है. 

इस अभियान में दिल्ली के पूर्व मंत्री और राज्यपाल जगदीश मुखी, दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज एम.एम. ढींगरा, पूर्व लोकसभा महासचिव जी.सी. मल्होत्रा, प्रसिद्ध नृत्यांगना व पूर्व राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह आदि ने भी ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ इस अभियान का हिस्सा बनने के लिये अपना समर्थन दिया है. गोयल ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब इस साल ऑनलाइन सट्टा का व्यापार 12 लाख करोड़ का हो गया है और ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री हर साल 30 प्रतिषत की दर से फल-फूल रही है. देश में हर साल हजारों परिवार बर्बाद हो जाते हैं. अकेले तमिलनाडु में पिछले वर्ष में 40 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. पहले जो लोग लॉटरी और जुए की लत से बर्बाद होते थे,वही काम आज ऑनलाइन गेमिंग की लत कर रही है, जिसे स्मार्ट, एजुकेटेड और अप टू डेट युवा वर्ग खेलता है. 

ऑनलाइन गेमिंग को प्रमोट करने वालों की हो निंदा

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2016 में जहां फैंटेसी स्पोर्ट्स खलेने वालों की संख्या 20 लाख थी, वह अब 2024 में 24 करोड़ पहुंच गई है और एक अनुमान के अनुसार 2027 तक यह संख्या भारत की जनसंख्या के एक तिहाई यानी कि 50 करोड़ हो जाएगी. मोबाइल के Android & IOS पर कई बैटिंग एप्स हैं, जिन पर लोग लाखों-करोड़ों रूपए लुटा रहे हैं. गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर, 2023 तक 581 एप्प को ब्लॉक किया, जिनमें से कुल 174 सट्टेबाजी और जुए वाला एप्स थे, जिनमें पबजी, गरेना, फ्री फायर भी थे.केंद्र सरकार 2022 में ऑनलाइन गेमिंग  रेगुलराइजेशन  बिल लेकर आई थी, जो अभी तक लंबित है. उन सेलिब्रेटिज, क्रिकेटर्स  और नेताओं की निंदा करनी चाहिए जो इन बैटिंग एप्स और गेमिंग एप्स को प्रमोट कर रहे है.

इन विज्ञापनों से खुद कमाने के लिए ये सेलिब्रिटिज युवाओं को जुए के दलदल में धकेलने में लगे हुए हैं. दूसरी तरफ आम जनता है जो उधार लेकर अपने पास रखी जमापूंजी भी लुटा देती है. गोयल ने कहा कि इस अभियान में वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ेंगे. इस अभियान का राजनीति से संबंध नहीं है. वे सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करेंगे, कि जैसे लॉटरी पर प्रतिबंध लगवाने के लिए सभी पार्टी का समर्थन मिला था, उसी तरह से इस मुद्दे पर भी सब लोग एक होकर समर्थन करें. इस अभियान को धार देने के लिए शनिवार 16 नवम्बर को जंतर-मंतर पर धरने से इसकी शुरुआत होगी, जिसमें वे माता-पिता भी शामिल होंगे, जिनके बच्चे मना करने के बावजूद भी ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं.

ऑनलाइन गेमिंग एक सॉफ्टवेयर राइडर गेम

दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज एम.एम. ढींगरा ने  इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि ऑनलाइन गेमिंग एक सॉफ्टवेयर राइडर गेम है. जो भी पहली बार इस गेम को खेलता है, उसका डाटा सॉफ्टवेयर कंपनी के पास चला जाता है, जो पहले व्यक्ति को जीताते हैं. जैसे- जैसे वो जीतता है, उसे इसकी लत लग जाती है, पर बाद में वह हारने लगता है, इसमें उसकी कोशिश यह होती है कि इस बार नहीं तो अगली बार जीत जाऊंगा, इसी लालच में वह ऑनलाइन गेमिंग के दलदल में फंस जाता है. जितना वह हारता है उसका 82 प्रतिशत कंपनी खाते में जाता है और 18 प्रतिशत उनका खर्च होता है, जिस पर 18 प्रतिशत जीएसटी सरकार ने लगाया हुआ है. ऑनलाइन गेमिंग एक ऐसी बुराई है, जिस पर सरकार को कानून बनाकर रोक लगानी चाहिए.

पूर्व राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि जब हमारे देश के अन्दर किसी भी प्रकार के जुए पर प्रतिबंध है तो फिर ऑनलाइन गेमिंग का जुआ कैसे खेला जा सकता है. प्रसिद्ध नृत्यांगना व पूर्व राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि ऑनलाइन  गेमिंग एक महापाप है, जो समाज हित और लोक हित में नहीं है, बल्कि यह तो समाज और लोगों को हिट यानी कि मार रही है, बर्बाद कर रही है.

शिक्षण  संस्थाओं और अन्य संस्थाओं में यदि ऑनलाइन गेमिंग से होने वाले दुष्प्रभावों  को बताया जाए तो व्यापक रूप से यह संदेश लोगों तक पहुंच सकता है. वहीं पूर्व लोकसभा महासचिव जी.सी. मल्होत्रा ने कहा कि पब्लिक प्लेसेस पर सट्टा खेलना कानूनन बैन है. भारत मे कुछ राज्यों सिक्किम, गोवा व दमन में ऑनलाइन गेमिंग अपराध नहीं है, क्योंकि संविधान यह कहता है कि गेमिंग कई मामलों में राज्यों का विषय है. ऑनलाइन गेमिंग के कारण अधिकतर युवा वर्ग आत्महत्या कर रहा है साथ में उनके माता-पिता भी. अतः इस सामाजिक बुराई पर सरकार को कानून बनाकर सख्ती से उसका पालन करना चाहिए.

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