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ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले लगभग 40 प्रतिशत किसानों को ऑनलाइन ट्रांसफर करने से पैसा नहीं मिल पाएगा
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पैसे सीधे ऑनलाइन ट्रांसफर होने से किसानों के बीच भ्रम फैलेगा, केन्द्र के खिलाफ आंदोलन करने के लिए मोदी सरकार किसानों को दण्ड दे रही है
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मोदी सरकार का प्रस्ताव स्वीकार कर, कैप्टन पंजाब में काले कानूनों को कर रहे लागू
आम आदमी पार्टी ने सीधे किसानों के बैंक खातों में ऑनलाइन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के पैसे ट्रांसफर करने के फैसले को मोदी सरकार की साजिश बताया है. पार्टी ने एमएसपी के लिए किसानों की भूमि रिकॉर्ड मांगने के लिए भी केन्द्र सरकार पर निशाना साधा.
शनिवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में आप विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि किसानों को परेशान करने और उनकी समस्याओं को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार एमएसपी का पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर करने की योजना बना रही है. यह मोदी सरकार की किसानों और आढ़तियों के बीच फूट डालने की एक साजिश है.
उन्होंने कहा कि इस फैसले के कारण एक महीने बाद गेहूं की खरीद के समय किसानों के बीच भ्रम फैलेगा और पंजाब में अराजकता का माहौल उत्तपन्न होगा. केंद्र सरकार का उद्देश्य पंजाब के किसानों और मजदूरों और आढ़तियों को तबाह करना है और पूरे मंडी सिस्टम को नष्ट करना है.
यही कारण है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अगले महीने से मंडियों में आने वाली गेहूं की फसल के लिए किसानों के बैंक खातों में सीधे भुगतान का आदेश दिया है. अरोड़ा ने शुक्रवार बजट सत्र के दौरान पंजाब विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया था और इस मामले में प्रधानमंत्री के समक्ष इस मामले को उठाने के लिए एक समिति गठन करने की कैप्टन सरकार से मांग की थी.
उन्होंने कहा कि जब पंजाब के किसानों ने अपने खातों में सीधे भुगतान की कोई मांग नहीं की है तो सरकार पिछले कई दशकों से चले आ रहे खरीद-बिक्री की कुशल व्यवस्था को ध्वस्त कर क्यों किसानों पर एक और कहर बरपाना चाहती है. इससे केवल उन्हीं किसानों के फसलों का भुगतान होगा, जिनके रिकॉर्ड सरकार के पास मौजूद है.
लेकिन पंजाब में हजारों ऐसे किसान हैं जिनका रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है, क्योंकि पंजाब में लगभग 40 प्रतिशत किसान पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं. उनको ऑनलाइन एमएसपी का लाभ नहीं मिल पाएगा. फिर उनका क्या होगा?
अरोड़ा ने कहा कि केंद्र ने राज्य को फसलों की खरीद के लिए लगभग 24,000 करोड़ रुपये की ऋण सीमा निर्धारित की है. लेकिन जब 40 प्रतिशत पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को प्रत्यक्ष ऑनलाइन हस्तांतरण का लाभ मिल ही नहीं पाएगा, तो खरीद के लिए दिए गए केंद्र के पैसे में से लगभग 10,000 करोड़ रुपये कम हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किसानों के बीच भ्रम पैदा करने और उनमें फूट डालने के इरादे से ऐसा कर रही है. केन्द्र के इस कदम का उद्देश्य पंजाब के किसानों को काले कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर आंदोलन के लिए दंडित करना है. मोदी सरकार को किसानों को परेशान करने और उन पर बोझ डालने वाले हथकंडे नहीं अपनाने चाहिए.
कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कटाक्ष करते हुए, अरोड़ा ने कहा कि किसानों के भूमि डेटा देने वाले प्रस्ताव को स्वीकार करके, कैप्टन सरकार, केन्द्र के काले खेती कानूनों को राज्य में लागू कर रही है. कैप्टन ने एक बार फिर साबित किया कि वे असल में किसानों के विरोधी हैं. पहले वे हाई पावर कमेटी के सदस्य बने जिसने इन काले कानूनों का मसौदा तैयार किया था और अब वे अपने बॉस मोदी के आदेश पर पंजाब के किसानों की जमीन की जानकारी केन्द्र सरकार को दे रहे हैं.
Posted by: Pritish Sahay