किसी नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना पॉक्सो एक्ट ( POCSO) के तहत यौन हमला नहीं माना जायेगा. यह व्यवस्था बंबई हाईकोर्ट (Bombay High court) ने एक पांच साल की बच्ची के साथ हुए यौन हमले की सुनवाई के दौरान दी. कोर्ट ने कहा कि यह मामला पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमला (sexual assault) तो नहीं है, लेकिन इसे आईपीसी की धारा 354-ए (1) (i) के तहत यौन उत्पीड़न का मामला माना जायेगा.
बंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने यह माना कि अपराध 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ घटित हुआ है इसलिए यह दंडनीय है. जस्टिस पुष्पा ने 50 साल के आरोपी को पांच साल के सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी है. जुर्माना ना भरने की स्थिति में छह माह के साधारण कारावास की सजा होगी.
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यह मामला लेकर कोर्ट की शरण में लड़की की मां आयी थीं और उन्होंने शिकायत दर्ज करायी थी. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है, ताकि बचपन सुरक्षित रहे. गौरतलब है कि जस्टिस पुष्पा का एक और फैसला हाल में ही काफी चर्चित रहा था जिसमें उन्होंने यह कहा है कि स्किन टु स्किन टच के बिना किया गया यौन हमला पॉक्सो एक्ट के तहत नहीं आयेगा. इस मामले में दिये गये फैसले पर 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और आरोपी को बरी करने का आदेश भी स्थगित कर दिया था.
Posted By : Rajneesh Anand