LokSabha Election 2024: विपक्ष के महाजुटान का 18 जुलाई को जवाब देगा NDA, जानिए किसमें कितना है दम…

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष एकजुट हो रहा है. पहले पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 15 विपक्षी दल एक मंच पर आये और अब बेंगलुरु में 24 पर्टियां 17 जुलाई को जुट रही हैं.

By Rajneesh Anand | July 17, 2023 3:23 PM

Opposition-Meeting : साल 2024 देश के लिए बहुत ही अहम है, क्योंकि इस वर्ष में लोकसभा का चुनाव होना है और देश को एक नयी सरकार मिलेगी. सत्ता पर काबिज बीजेपी सरकार एक ओर जहां पूरी ताकत के साथ अपनी कुर्सी को जमाये रखना चाहती है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष उसकी कुर्सी हथियाने की रणनीति बनाने में जुटा है. लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के अंत में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होना है, यही वजह है कि देश के सभी राजनीतिक दल रेस हैं.

जुट रहे हैं दिग्गज

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष एकजुट हो रहा है. पहले पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 15 विपक्षी दल एक मंच पर आये और अब बेंगलुरु में 24 पर्टियां 17 जुलाई को जुट रही हैं. विपक्ष की यह महा बैठक 17 और 18 जुलाई को आयोजित की गयी है. बैठक बहुत ही खास है क्योंकि इस बैठक में तमाम दिग्गज जुट रहे हैन. विपक्ष का मनोबल बढ़ाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बेंगलुरु बैठक का हिस्सा बनेंगी. तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी भी इस बैठक में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ शामिल होंगी.

कुनबे को संभालने में जुटा पक्ष-विपक्ष

वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी एनडीए भी अपने कुनबे को संजोने में जुटा है. इतना ही नहीं 18 जुलाई को बेंगलुरु में ही आयोजित होने वाली एनडीए की बैठक में वे पार्टियां भी शामिल होंगी जो नाराज होकर कुछ समय पहले सरकार का साथ छोड़कर चली गयीं थीं. बताया जा रहा है कि एनडीए की कुल 19 पार्टियां इस बैठक में शामिल होंगी. इस बैठक का उद्देश्य जहां एकजुटता का प्रदर्शन करना है वहीं विपक्ष को यह बताना भी है कि आप कितनी भी कोशिश कर लो हमें सत्ता से हिला पाना इतना आसान नहीं है.

क्या चाहता है वोटर?

कहना ना होगा कि लोकसभा चुनाव के दंगल से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों खुद को मजबूत और एकजुट दिखाने में जुटा है. अब इस सच से भी देश के नागरिक अवगत हैं कि राजनीतिक दल जो दिखाते हैं वो सच होता नहीं है. ऐसे में देश का हर नागरिक यह जानना चाहता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वो जिसके लिए अपना कीमती वोट खर्च करेगा, दरअसल उसकी नीतियां क्या है और वह किस तरह देश को विकास के रास्ते पर लेकर जायेगा. साथ ही हर वोटर यह भी जानना चाहता है कि जिस गठबंधन को वो वोट करेगा, उसकी ताकत क्या है और वे कितना एकजुट हैं. तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि विपक्ष के महागठबंधन और एनडीए की ताकत क्या है-

NDA में शामिल दल

NDA की स्थापना 1998 में गैरकांग्रेसी दलों को एकजुट करने के लिए हुई थी. वर्तमान में इसके 19 सदस्य हैं और लोकसभा में इनमें से प्रमुख पार्टियों की स्थिति कुछ इस प्रकार है-

बीजेपी -303

शिवसेना-18

लोकजनशक्ति पार्टी-6

अकाली दल-2

अपना दल-2

आजसू-1

एनडीपीपी-1

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी-1

एनडीए की इन पार्टियों को लोकसभा में सीटें प्राप्त हैं, जबकि उसकी कुछ और सहयोगी पार्टियां भी हैं, जिन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिली थी. इनमें प्रमुख हैं असम गण परिषद, लोकसमता पार्टी एवं हिंदुस्तान अवाम मोर्चा.

मोदी को हटाना महागठबंधन का उद्देश्य

विपक्ष के महागठबंधन पर सत्तापक्ष लगातार हमलावर रहा है और यह कहता रहा है कि विपक्ष का महागठबंधन महज स्वार्थी लोगों का एक ग्रुप है जहां सब के सब अपना हित साधने के लिए इकट्ठे हुए हैं. बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक से पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि विपक्ष इसे महागठबंधन बता रहा है लेकिन दरअसल यह कोई गठबंधन नहीं है इनका एक मात्र उद्देश्य है पीएम मोदी को सत्ता से हटाना. लेकिन इनका यह सपना सच होने वाला नहीं है क्योंकि जीरो से अगर जीरो को जोड़ा जायेगा तो नतीजा सिफर ही रहेगा.

महागठबंधन की पार्टियां

वहीं महागठबंधन में शामिल प्रमुख पार्टियाां 24 हैं, जिनमें से प्रमुख पार्टियों की स्थिति इस प्रकार हैं-

कांग्रेस-52

टीएमसी -22

जदयू -16

डीएमके -23

समाजवादी पार्टी -5

नेशनल काॅन्फ्रेंस-3

सीपीआई-2

सीपीआईएम-3

महागठबंधन की बैठक को लेकर विपक्ष बहुत ही उत्साहित है और कह रहा है कि इस बार की बैठक में बीजेपी को सत्ताच्युत करने का पूरा रोडमैप तैयार हो जायेगा. यहां तक कि नेतृत्व को लेकर भी सत्तापक्ष की ओर से जो सवाल किये जा रहे हैं उनके जवाब में महागठबंधन कर रहा है कि वो कोई मसला ही नहीं है और ना ही विवाद. जबकि सच्चाई यह है कि महागठबंधन में कई एेसे नेता हैं जो महत्वाकांक्षी हैं और अगर परिस्थितियां उनके अनुकूल रही तो वे पीएम पद की दावेदारी कर सकते हैं. शरद पवार, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू यादव और अरविंद केजरीवाल इसी श्रेणी के नेता हैं.

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