नयी दिल्ली : गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान चीनी सैनिकों ने कायरता की सारी हदें लांघ दीं. पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर जिस जगह पर ये झड़प हुई है, वहां चीनी फौज ने अपनी भारी संख्या का फायदा उठाकर पहले भारतीय सैनिकों को घायल किया और फिर उन्हें एलएसी से काफी अंदर तक ले गये. कई घंटे बाद जब चीनी फौज ने भारतीय सैनिकों को वापस एलएसी पर छोड़ा, तो वे अंतिम सांस ले रहे थे. घटनास्थल के सबसे करीब स्थित आइटीबीपी बेस कैंप पर तैनात सूत्रों ने यह जानकारी दी.
भारतीय सैनिक इस भरोसे में रहे कि एलएसी पर आयी चीनी फौज धीरे-धीरे पीछे चली जायेगी. सूत्रों का कहना है कि जब पहली झड़प शुरू हुई, तो उस वक्त भारतीय सैनिकों की संख्या चार दर्जन से अधिक नहीं थी. चीन ने छह जून को हुए समझौते की शर्तें तोड़ दी और इसी का फायदा उठाकर भारतीय सैनिकों के साथ बर्बरता करनी शुरू कर दी. जब यह झड़प शुरू हुई, तो उस वक्त चीनी सैनिकों की संख्या सात सौ से अधिक थी.
रात 11 बजे तक वहां भारतीय सैनिक भी अच्छी खासी तादाद में पहुंच चुके थे, लेकिन चीन के मुकाबले वह संख्या काफी नहीं थी. सूत्रों ने बताया कि चीनी फौज की यह झड़प एक बड़ी सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी. चीन ने अपने सैनिक एलएसी के निकटवर्ती इलाकों में छिपा रखे थे. झड़प पर पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा कि भारत को अब एलएसी पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ानी होगी.
सब कुछ वैसे ही हुआ जैसा चीन ने 1969 में रूस के साथ किया : चीन ने इस पूरी घटना को ठीक उसी तरह अंजाम दिया है, जैसा 1969 में उसने रूस के साथ किया था. तब भी चीन ने अपने मारे गये सैनिकों की संख्या दुनिया से छिपाये रखी थी. असल में यह उसकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है. 51 साल पहले दो मार्च, 1969 की सुबह जब सोवियत बॉर्डर गार्ड्स के जवान जब रेंच में ही थी तब चीनी सैनिकों ने रूसी सैनिकों पर हमला कर उनके 32 जवान मार गिराये थे.
कंटीले तारों और पत्थरों से किया गया वार : भारतीय सैनिक उस स्थान पर गये थे, जहां तनाव हुआ था. वे यह जांचने गये थे कि क्या वे वादे के अनुसार डी-एस्केलेशन समझौते का पालन कर रहे हैं या नहीं. वहां उन पर पूरी तरह बर्बर हमला किया गया. चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर कंटीले तारों और पत्थरों से हमला बोल दिया.
इंटरसेप्टर से हमारे सैनिकों का पता लगाया, फिर बढ़ायी अपनी संख्या : भारतीय सैनिकों के खिलाफ चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा ली थी, फिर भी भारतीय पक्ष ने उनसे लड़ने का फैसला किया. भारतीय सैनिकों की संख्या चीनी सैनिकों की अपेक्षा अधिक थी. बताया जा रहा है कि चीन ने भारतीय सैनिकों का पता लगाने के लिए पहले थर्मल इमेजिंग ड्रोन का भी इस्तेमाल किया, उसके बाद अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा ली. सूत्रों ने कहा कि हमारी याद में यह चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना के जवानों पर किया गया सबसे घातक हमला था.
Posted by : Pritish Sahay