पाकिस्तान ने 1965 और 1971 के युद्ध में हार के बाद प्रॉक्सी वार के जरिये भारत में पैदा की अस्थिरता : राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक कार्यक्रम में कहा कि साल 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्ध हुए, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई. इन युद्धों में हार के बाद पाकिस्तान को लगा कि वह भारत के साथ पूर्ण युद्ध छेड़ने की स्थिति में नहीं हैं. इसके बाद आतंकवाद का सहारा लेते हुए प्रॉक्सी वार शुरू किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2020 9:19 PM

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक कार्यक्रम में कहा कि साल 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्ध हुए, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई. इन युद्धों में हार के बाद पाकिस्तान को लगा कि वह भारत के साथ पूर्ण युद्ध छेड़ने की स्थिति में नहीं हैं. इसके बाद आतंकवाद का सहारा लेते हुए प्रॉक्सी वार शुरू किया.

जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में भारत की सीमाएं और पड़ोसी देशों को लेकर विस्तार से बातें कीं. उन्होंने कहा कि पिछले 73 वर्षों में सीमाओं पर हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. हमारी सेनाओं ने हर चुनौतियों का ना सिर्फ डट कर सामना किया है, बल्कि विजय भी हासिल किया है.

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही भारत विरोधी ताकतों की कोशिश रही है कि सीमा पर या फिर भारत में घुसपैठ करा कर अस्थिरता का माहौल बनाया जा सके. इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर से हुई. 1948 में भारतीय फौज ने पाकिस्तान के इशारे पर की गयी कार्रवाई को नाकाम कर दिया. इसके बावजूद पाकिस्तानी हुक्मरानों ने कोई सबक नहीं लिया और जम्मू-कश्मीर में लगातार अस्थिरता पैदा की जाती रही.

रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा पर स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि साल 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्ध हुए. इनमें पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद पाकिस्तानी हुक्मरान समझ गये कि भारत से पूर्ण युद्ध करने में वे सक्षम नहीं है. इसके बाद प्रॉक्सी वार शुरू किया. पहले जम्मू-कश्मीर, फिर पंजाब में आतंकवाद का सिलसिला प्रारंभ हुआ.

उन्होंने कहा कि पंजाब में तो आतंकवाद तो खत्म हो गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर में अब भी कार्रवाई चल रही है. कश्मीर में समय भले ही समय लगे, आतंकवाद खत्म होकर रहेगा. आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान ने सारे हथकंडे अपना लिये. 1999 में करगिल युद्ध, 2001 में मुंबई हमला, 2017 में उरी में हमला ओर 2019 में पुलवामा का हमला, यह सब सीमा पार से प्रायोजित था, जिसका प्रमाण भारत के पास है.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत की स्थिति बदली है. अपनी सीमा के अंदर आतंकवाद पर तो कार्रवाई हो ही रही है, सीमा पार जाकर भी आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने की कार्रवाई की जा रही है. हाल की दो घटनाएं इसका जीता-जागता उदाहरण है. समुद्री सीमाओं पर भी हमारे सैनिक मजबूती से डट कर खड़े हैं.

उन्होंने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का गैरकानूनी कब्जा है. इसका नाजायज फायदा उठा कर वे अपना राज्य बनाना चाहते हैं. गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके पर एकतरफा कार्रवाई करने का हक पाकिस्तान को नहीं है. इस मसले पर यूनाईटेड नेशन को भी संज्ञान लेना चाहिए. पीओके भारत का हिस्सा है. सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित है. हम इस प्रस्ताव को किसी कीमत पर नहीं भूलेंगे.

रक्षा मंत्री ने कहा कि जब तक पीओके भारत का नहीं होगा, तब तक पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद का हल नहीं हो सकता. पाकिस्तान के साथ एलओसी स्थायी सीमा नहीं है. इसका हल हम शांति से निकालना चाहते हैं. इसके बाद हमारी चुनौती एलएसी की है. हम चाहते हैं कि भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद शांतिपूर्ण तरीके से हल हो.

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