NIA का बड़ा खुलासा : भारत विरोधी एजेंडे के तहत कश्मीरी छात्रों को डॉक्टर-इंजीनिरयिरंग की डिग्री देता है पाकिस्तान
एनआइए ने टेरर फंडिंग के सिलसिले में दायर अपने आरोपपत्र में इस बात का खुलासा किया है कि आतंकी, हुर्रियत कांफ्रेंस और पाकिस्तान सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय गठजोड़ है, जो पाकिस्तान के प्रति झुकाव रखने वाले कश्मीरी डॉक्टरों और इंजीनियरों की नई पौध तैयार करने की मुहिम में जुटा हुआ है.
नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भारत में अलगाववादी ताकतों बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की ओर से की जा रही नापाक हरकतों का बड़ा खुलासा किया है. एनआईए के अनुसार, पाकिस्तान की सरकार भारत विरोधी एजेंडे के तहत जम्मू-कश्मीर के छात्रों में जिहादी और अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देकर उन्हें आतंकी और अलगाववादी बनाने के लिए एमबीबीएस और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम या अन्य शिक्षण संस्थानों में दाखिला और छात्रवृत्ति दे रही है.
एनआइए ने टेरर फंडिंग के सिलसिले में दायर अपने आरोपपत्र में इस बात का खुलासा किया है कि आतंकी, हुर्रियत कांफ्रेंस और पाकिस्तान सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय गठजोड़ है, जो पाकिस्तान के प्रति झुकाव रखने वाले कश्मीरी डॉक्टरों और इंजीनियरों की नई पौध तैयार करने की मुहिम में जुटा हुआ है. कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और उदारवादी हुर्रियत नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारूख और उनके कई दूसरे साथी पाकिस्तान में कश्मीरी छात्रों के दाखिले का इंतजाम करते रहे हैं. इनकी सिफारिश पर पाकिस्तान के लिए कश्मीरी छात्रों और अन्य लोगों को वीजा आसानी से मिल जाता था.
एनआई की जांच में पता चला है कि जो छात्र पाकिस्तान पढ़ने गए हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों का किसी पूर्व आतंकी के रिश्तेदार या सक्रिय आतंकियों के साथ किसी न किसी तरीके से लगाव रहा है. इसके अलावा, हुर्रियत नेता कश्मीर के कुछ प्रभावशाली परिवारों के बच्चों को पाकिस्तान में मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला दिलाने की आड़ में उनसे मोटी रकम भी वसूल करते रहे हैं. इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों में खर्च किया जाता रहा है.
एनआइए ने अदालत को बताया कि अलगाववादी नेता नईम खान के मकान की तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज मिले हैं. यह दस्तावेज पाकिस्तान में एक कश्मीरी छात्र को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए दाखिला दिलाने की सिफारिश से संबंधित था. इनमें एक छात्र के बारे में बताया गया था कि वह और उसका परिवार पाकिस्तान समर्थक है और वह कश्मीर की आजादी के प्रति संकल्पबद्ध है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया था. उन्होंने जांच एजेंसियों को इस पूरे नेटवर्क पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इसके बाद ही, जम्मू-कश्मीर से गुलाम कश्मीर या पाकिस्तान में एमबीबीएस या इंजीनियरिग की पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिए जाने के बाद यह संख्या नाममात्र रह गई है, क्योंकि हुर्रियत नेताओं की पढ़ाई के लिए दाखिले दिलाने की दुकान बंद हो गई है.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, आतंकियों और पाकिस्तान सरकार द्वारा कश्मीरी छात्रों को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की इस साजिश का जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन सत्ता तंत्र को पूरा पता था, लेकिन किसी ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. पाकिस्तान गए कई छात्रों ने वहां उन्हें कश्मीर में पाकिस्तानी एजेंडे को प्रोत्साहित करने के लिए मजबूर किए जाने के बारे में जांच एजेंसियों को भी बताया था.
कई छात्रों ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के पक्ष को सही ठहराने संबंधी मुद्दों के बारे में कश्मीर आकर संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को बताया था. करीब एक साल पहले सुरक्षा एजेंसियों ने बताया था कि जम्मू कश्मीर से करीब 700 छात्र पकिस्तान के विभिन्न मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने गए हैं. इनमें से अधिकांश छात्र कश्मीर घाटी से संबंध रखते हैं.
अगस्त, 2020 में भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने एक अधिसूचना जारी कर यह साफ कर दिया था कि गुलाम कश्मीर का कोई भी कॉलेज उसके द्वारा मान्य नहीं है. इसलिए वहां से पढ़कर आने वाले छात्रों को जम्मू-कश्मीर या भारत में कहीं भी प्रैक्टिस करने या सरकारी रोजगार प्राप्त करने का अधिकार नहीं है.
करीब तीन साल पहले भी गुलाम कश्मीर में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने को लेकर जम्मू कश्मीर में विवाद पैदा हो गया था. इसके बाद यह मामला अदालत में पहुंचा और हादिया चिश्ती नामक छात्रा को अदालत ने राहत देते हुए विदेश मंत्रालय को कहा था कि वह उसके मामले का संज्ञान ले. गुलाम कश्मीर भी भारत का ही हिस्सा है.
Posted by : Vishwat Sen