पाकिस्तान से आयी ऐसी खबर जो आपके चेहरे पर ला देगी स्माइल, पढ़े ट्रांसजेंडर जिया की अनोखी कहानी
रमजान की तैयारियों के चलते जिया ने मार्च में यह दुकान ‘द स्टिच शॉप’ दो अन्य ट्रांसजेंडर महिलाओं के साथ खोली है. उनके ग्राहकों में कई महिलाएं शामिल हैं.
पाकिस्तान के कराची शहर में महिला ट्रांसजेंडर जिया सिलाई की पहली दुकान खोल कर वहां की ट्रांसजेंडर्स को आगे बढ़ने की राह दिखा रहीं हैं. रमजान का महीना शुरू हो चुका है और जिया की दुकान पर भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. सिलाई की दुकान खोलने के लिए जिया को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हो भी क्यों न, उनकी यह पहल पाकिस्तान के रूढ़िवादी समाज को चुनौती जो दे रही थी. मकान मालिकों ने एक ट्रांसजेंडर को किराये पर दुकान देने में इंकार कर दिया. लेकिन, जिया ने हार नहीं मानी और कराची के न्यू मार्केट में एक दुकान खोज ली.
रमजान की तैयारियों के चलते जिया ने मार्च में यह दुकान ‘द स्टिच शॉप’ दो अन्य ट्रांसजेंडर महिलाओं के साथ खोली है. उनके ग्राहकों में कई महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने कहा कि वे अपने कपड़े बनाने के लिए एक ट्रांसजेंडर महिला को ज्यादा पसंद करती हैं. ये ज्यादातर पुरुषों द्वारा चलायी जा रही सिलाई की दुकानों के बीच एक बड़ा परिवर्तन है. जिया के दुकान पर पहली बार पहुंचीं फरजाना जाहिद ने रॉयटर्स को बताया कि जिया के साथ टेलरिंग का अनुभव बहुत बेहतर रहा. जब उन्होंने मेरा माप लिया, तो मुझे अच्छा लगा. कराची में जिया की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. इन दिनों वह दिनभर व्यस्त नजर आती हैं. जिया से प्रेरित कई ट्रांसजेंडर्स अब कुछ करने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं.
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ऑल-बॉयज स्कूल से जिया ने की है पढ़ाई
जिया ने ऑल-ब्वायज स्कूल से पढ़ाई की है और अपने साथी ट्रांसजेंडर महिलाओं की मदद से सिलाई सीखी है. उन्होंने बताया कि हम इस व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं. जिया का सपना पूर्वी और पश्चिमी डिजाइन के कपड़ों के साथ एक बुटीक खोलना है.
रानी खान ने कपड़े बेच शुरू किया पहला ट्रांसजेंडर स्कूल
पाकिस्तान में एलजीबीटी समुदाय की रानी खान ने पहले ट्रांसजेंडर इस्लामिक स्कूल की शुरुआत की है. वह बच्चों को कुरान का पाठ पढ़ाती हैं. उन्होंने यह मदरसा अपनी बचत के पैसे से खोली है. रानी खान कपड़े बेच कर स्कूल के लिए धन जुटाती हैं. वह अपने छात्रों को सिलाई और कढ़ाई करना भी सिखाती हैं. खान ने बताया कि स्कूल को अबतक सरकार से सहायता नहीं मिली है, हालांकि कुछ अधिकारियों ने छात्रों को नौकरी खोजने में मदद करने का वादा किया है.