Loading election data...

Drugs Case: पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को 20 साल कठोर कारावास, 2 लाख रुपये का जुर्माना, 28 साल पुराने केस में सजा

Drugs Case: 1996 के एनडीपीएस मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को कोर्ट ने कड़ी सजा सुनाई है. गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने भट्ट को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही उनपर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

By ArbindKumar Mishra | March 30, 2024 3:48 PM

Drugs Case: मालूम हो कोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को 1996 के मादक पदार्थ जब्ती मामले में बुधवार को दोषी करार दिया दिया था. आपराधिक मामले में भट्ट की यह दूसरी सजा है. इससे पहले उन्हें 2019 में जामनगर अदालत द्वारा हिरासत में मौत के मामले में दोषी पाया गया था.

संजीव भट्ट पर वकील को झूठा फंसाने का दोषी पाया गया

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर आरोप लगा था कि उन्होंने बनासकांठा के एसपी रहते हुए पालनपुर के एक होटल में 1.5 KG अफीम रखकर एक वकील को फंसाया था. कोर्ट ने भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का दोषी ठहराया. भट्ट को 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.

क्या है 1996 का एनडीपीएस मामला

दरअसल जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील राजपुरोहित रह रहे थे. पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास ने मामले की गहन जांच का अनुरोध करते हुए 1999 में गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था.

भट्ट को 2018 में किया गया था गिरफ्तार

संजीव भट्ट को राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था और तब से वह पालनपुर उप-जेल में हैं. पिछले साल, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 28 साल पुराने मादक पदार्थ मामले में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमे को किसी अन्य सत्र अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि कोर्ट ने भट्ट की याचिका खारिज कर दी थी.

Also Read: अरविंद केजरीवाल की ईडी रिमांड 1 अप्रैल तक बढ़ी, जानें क्या है मामला

Next Article

Exit mobile version