पेरेंट्स हो जाएं सावधान, ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर बच्चों को फंसाने के लिए बिछाया जा रहा जाल

Alert: बच्चों को फंसाने के लिए ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर जाल बिछाये जा रहे हैं. इससे जुड़ी एक स्टडी भी की गयी है जिसमें कई तरह की बातें खुलकर सामने आयी है. बच्चों को बचाये रखने के लिए उनके अभिभावकों को सावधान रहने की सलाह भी दी गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2023 1:35 PM

Trap Alert: आये दिन हम धोखाधड़ी की कहानियां सुनते रहते हैं. अक्सर यह बड़े उम्र के लोगों फंसाने के लिए किये जाते हैं. लेकिन, हाल ही में एक स्टडी की गयी है जिसमें पाया गया है कि अब केवल बड़ों के साथ ही नहीं बल्कि ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर बच्चों को फंसाने के लिए भी जाल बिछाये जा रहे हैं. इस स्टडी में कई अभिभावकों ने हिस्सा लिया और इसके जो परिणाम सामने आये वे पूरी तरह से हिला कर रख देने वाले हैं.

अभिभावकों को सावधान रहने की सलाह

माता-पिता को सावधान हो जाने की जरुरत है. क्योंकि, ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर अजनबियों द्वारा बच्चों को फंसाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है. एक नए अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 424 अभिभावकों में से करीब 33 प्रतिशत ने बताया कि- ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर उनके बच्चों से अजनबियों ने दोस्ती करने, निजी और पारिवारिक जानकारी मांगने और यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया.

क्राय और सीएनएलयू द्वारा किया गया अध्ययन

यह अध्ययन संयुक्त रूप से ‘क्राय’ (चाइल्ड राइट्स एंड यू) और पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) द्वारा किया गया. महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 424 अभिभावकों के अलावा, इन चार राज्यों के 384 शिक्षकों और तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 107 अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया. अभिभावकों के अनुसार, ऑनलाइन दुर्व्यवहार का शिकार बने बच्चों में से 14-18 आयु वर्ग की 40 प्रतिशत लड़कियां थीं. जबकि, इसी आयु वर्ग के 33 प्रतिशत लड़के थे.

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मामले

अध्ययन में शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता ने उनके बच्चों के ऑनलाइन बाल यौन शोषण व दुर्व्यवहार (ओसीएसईए) का अनुभव करने की बात अधिक साझा की. अध्ययन में हिस्सा लेने वाले 33.2 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स पर उनके बच्चों से अजनबियों ने दोस्ती करने, निजी व पारिवारिक जानकारी मांगने और रिश्तों को लेकर यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया. अभिभावकों ने बताया कि बच्चों के साथ अनुचित यौन सामग्री भी साझा की गई और ऑनलाइन उनसे यौन संबंधी बातचीत भी की गई. यह पूछे जाने पर कि यदि उनके बच्चों को ओसीएसईए का सामना करना पड़ा तो वे क्या करना चाहेंगे केवल 30 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि वे थाने जाकर शिकायत दर्ज कराएंगे. जबकि, चिंताजनक रूप से 70 प्रतिशत ने इस विकल्प को खारिज कर दियाा.

अध्ययन में हुआ खुलासा

अध्ययन के अनुसार, केवल 16 प्रतिशत अभिभावक ही ओसीएसईए से संबंधित कोई कानून होने से वाकिफ थे. अध्ययन में अभिभावकों को कानूनों व कानून प्रवर्तन संस्थानों के बारे में काफी हद तक जानकारी न होने के संकेत मिले. अध्ययन के अनुसार, शिक्षकों ने पाया किया कि इनको लेकर बच्चों के व्यवहार में जो सबसे बड़ा बदलाव दिखा, वह था उनका किसी काम में ध्यान न होना और बिना किसी उचित कारण स्कूल न आना. इन बदलावों का उल्लेख करने वालों की संख्या 26 प्रतिशत थी. जबकि, स्कूल में ‘स्मार्टफोन’ का इस्तेमाल अधिक होने की बात 20.9 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कही.

बच्चों की तस्करी के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल

‘क्राय’ के ‘डेवलपमेंट सपोर्ट’ की निदेशक एवं उत्तरी भारत में क्षेत्रीय संचालन की प्रमुख सोहा मोइत्रा ने मौजूदा कानूनी ढांचे के पुनर्मूल्यांकन और उसे कड़ा करने पर जोर दिया. सोहा मोइत्रा ने कहा- इस अध्ययन में पाया गया कि इंटरनेट का इस्तेमाल बच्चों की तस्करी के लिए भी किया जा रहा है. इसमें संकेत मिले कि इंटरनेट के माध्यम से तस्करी के मामले (खासकर युवकों के) बढ़े हैं, इसलिए शायद प्रावधानों का पुनर्मूल्यांकन किए जाने की जरूरत है. (भाषा इनपुट के साथ)

Next Article

Exit mobile version