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स्मार्टफोन बना परिवार का विलेन, बच्चों को इग्नोर कर माता-पिता फोन के साथ बीता रहे हैं दिन के इतने घंटे…

स्मार्टफोन का मानव संबंधों पर प्रभाव-2021 रिपोर्ट में बच्चों और उनके माता-पिता दोनों द्वारा मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चों पर व्यावहारिक प्रभाव पर गौर किया है.

ध्यान दें! क्या आपका स्मार्टफोन आपके रिश्तों को बिखेर रहा है? अगर आपको भी ऐसा लगता है तो सावधान हो जायें, क्योंकि वीवो कंपनी द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि स्मार्टफोन परिवारों को प्रभावित कर रहा है और लोग एक दूसरे से दूर हो रहे हैं. कोरोना वायरस की वजह से लगे लाॅकडाउन ने स्मार्टफोन के इस्तेमाल को और बढ़ाया है.

आधुनिक जीवन में स्मार्टफोन के बिना जीवन की कल्पना असंभव है. चाहे मन बहलाने की बात हो या फिर जरूरी कामकाज की, हर चीज एक इंसान के स्मार्टफोन में सिमटा हुआ है, स्मार्टफोन कंपनी वीवो द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि कई माता-पिता को ऐसा लगता है कि उनके द्वारा स्मार्टफोन के बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों के साथ उनके संबंधों पर असर पड़ा है. वीवो ने अपनी स्मार्टफोन का मानव संबंधों पर प्रभाव-2021 रिपोर्ट में बच्चों और उनके माता-पिता दोनों द्वारा मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चों पर व्यावहारिक प्रभाव पर गौर किया है.

यह सर्वेक्षण साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) की मदद से किया गया था और इसमें बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे सहित आठ प्रमुख शहरों के 1,100 लोगों ने शिरकत की. पीटीआई न्यूज एजेंसी के अनुसार इस सर्वेक्षण में 74 प्रतिशत माता-पिता ने यह कहा कि उन्हें लगता है कि ऐसा संभव है कि स्मार्टफोन के कारण उनके बच्चों के साथ उनके संबंध खराब हुए हैं. लगभग 75 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन की वजह से उनका ध्यान भटका और अपने साथ अपने बच्चों के होने के बावजूद वे उनपर ध्यान नहीं दे रहे थे.

वहीं लगभग 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका मानना ​​है कि जब वे अपने स्मार्टफोन में डूबे रहते हैं, तो वे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते, वहीं 74 प्रतिशत ने यह माना कि जब वे फोन का इस्तेमाल करते रहते हैं उस वक्त जब बच्चे सवाल पूछते हैं तो वे चिढ़ते हैं और उन्हें डांटते हैं.

सर्वें में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोविड 19 महामारी की वजह से लोगों ने स्मार्टफोन पर अत्यधिक समय दिया और अब उन्हें इसकी लत हो गयी है. औसतन एक आम व्यक्ति फोन पर चार से साढ़े छह घंटे बिता रहा है. जबकि कोविड से पहले चार घंटे की समय सीमा अधिकतम थी.

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