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अगले महीने संसद का मानसून सत्र, 11 अध्यादेश पारित कराना सरकार के लिए बनी चुनौती

भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच सितंबर में संसद के मानसून सत्र शुरू होने की बात कही गई है. माना जा रहा है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में संसद का मानसून सत्र शुरू हो सकता है. अभी तक मानसून सत्र का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां कोरोना संकट को देखते हुए वर्चुअल सेशन चलाने की मांग कर रही हैं. खास बात यह है कि केंद्र सरकार के सामने मानसून सत्र में 11 अहम बिल को पास कराना बेहद जरूरी है. इसमें मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) बिल सबसे खास माना जा रहा है. इस बिल को 9 अप्रैल 2020 को जारी किया गया था. यह बिल मंत्रियों के वेतन और भत्ते एक्ट (1952) को संशोधन करता है.

भारत में बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच सितंबर में संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है. माना जा रहा है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में संसद का मानसून सत्र शुरू हो सकता है. अभी तक मानसून सत्र का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां कोरोना संकट को देखते हुए वर्चुअल सेशन चलाने की मांग कर रही हैं. खास बात यह है कि केंद्र सरकार के सामने मानसून सत्र में 11 अहम बिल को पास कराने की चुनौती है. इसमें मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) बिल सबसे खास माना जा रहा है. इस बिल को 9 अप्रैल 2020 को जारी किया गया था. यह बिल मंत्रियों के वेतन और भत्ते एक्ट (1952) को संशोधन करता है.

इन अध्यादेशों को पास कराने का लक्ष्य  

मानसून सत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी रोग (संशोधन) बिल, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) बिल 2020, वित्त मंत्रालय के टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) बिल, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता बिल, 2020 को पास कराने पर जोर रहेगा. इसी साल कैबिनेट ने बिलों को मंजूरी दी है. जबकि, उपभोक्ता मामले और खाद्य वितरण मंत्रालय का अनिवार्य वस्तुएं (संशोधन) बिल, 2020 भी कतार में है. इसे पांच जून 2020 को जारी किया गया था. यह बिल अनिवार्य वस्तुएं एक्ट (1955) में संशोधन करता है. सरकार ने वित्त मंत्रालय के टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) बिल (2020) को 31 मार्च, 2020 को जारी किया था. इसके अलावा दिवालियापन संहिता (संशोधन) बिल (2020) 6 जून को घोषित किया गया था. मानसून सत्र में पारित नहीं होने पर पांच से छह अध्यादेश समाप्त हो जाएंगे.

क्यों जरूरी है अध्यादेश पास कराना? 

कोरोना संकट के बीच संसद के मानसूत्र को देखते हुए तमाम गाइडलाइंस को फॉलो करने की बात कही जा रही है. जबकि, सुरक्षा के मापदंडों को अपनाते हुए सत्र चलाया जाएगा. दरअसल, अध्यादेश का जीवन छह महीने का होता है. छह महीने के दौरान संसद से पारित नहीं होने पर बिल समाप्त हो जाते हैं. लिहाजा केंद्र सरकार जरूरी बिलों को मानसून सत्र में पारित कराना चाहती है.

Posted : Abhishek.

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