बच्चों के कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी ट्रॉयल चल रहा है. बच्चों में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं. ऐसे में अगर उन्हें कोरोना होता भी है तो वो गंभीर रूप नहीं लेगा और उन्हें अस्पताल में भरती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन अगर कोरोना वायरस अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है, तो संभव है कि स्थिति बदल जाये. उक्त बातें नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने आज स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही.
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी हमारा ध्यान बच्चों में कोरोना के असर पर है. अकसर यह देखा जाता है कि बच्चों में कोरोना के लक्षण कम उभरते हैं. उनमें इंफेक्शन के बावजूद कोरोना के लक्षण या तो बहुत कम उभरते हैं या फिर उभरते ही नहीं हैं. अबतक बच्चों में कोरोना ने गंभीर रूप नहीं लिया है, इसलिए कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने को लेकर ज्यादा चिंतिंत होने की जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि जबसे यह जानकारी सामने आयी है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेगी तब से पूरे देश में चिंता है. अभिभावकों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर चिंता जतायी थी.
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कई एक्सपर्ट यह सलाह भी दे रहे हैं कि अगर बच्चों को फ्लू का टीका भी दिला दिया जाये तो वह बच्चों को कोरोना के संक्रमण से बचाने में सहायक साबित हो सकता है. हालांकि यह इस बात की गारंटी नहीं है कि फ्लू के टीके से बच्चों को कोरोना का संक्रमण नहीं होगा.
Posted By : Rajneesh Anand