कोरोना संक्रमण के इस दौर में जहां हर जगह से पाबंदियों की खबर आ रही है अमेरिका ने यह कहकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया कि जिसने वैक्सीन की पूरी डोज ले ली है वो मास्क के बगैर बाहर निकल सकता है.
दुनिया के कई देशों में भी लोगों ने अब यह उम्मीद करनी शुरू कर दी है कि उनके देश में कब उन्हें मास्क के बगैर घूमने की इजाजत मिलेगी हालांकि अमेरिका के इस फैसले पर देश के अंदर और दूसरे देशों में भी एक बहस जरूर खड़ी कर दी है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 17 मई तक 18 साल की 47.4 फीसद जनसंख्या को अबतर पूरी तरह वैक्सीन दिया गया है. अमेरिका में लिया गये फैसले पर भारत के डॉक्टर और विशेषज्ञों ने माना है कि अमेरिका की सीडीसी नीति का समर्थन नहीं किया जा सकता है यह कारगर नहीं है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष जेए. जयलाल ने कहा, हर्ड इम्युनिटी तबतक हासिल नहीं की जा सकती जबतक 70 फीसद आबादी में एंटीबॉडी नहीं बन जाती. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, भारत में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए बनाये गये नियमों में छूट नहीं दी जा सकती और अमेरिका में भी हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के सबूत नहीं मिले हैं.
कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह बढ़ रहे हैं और हर बार नयी स्ट्रैन का पता चल रहा है कोरोना संक्रमण से अब भी बचकर रहने की जरूरत है. वैक्सीन लेने के बाद भी हमें सुरक्षा के नियमों का पालन करना होगा क्योंकि अभी पूरी तरह संक्रमण खत्म नहीं हुआ और वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना हआ है क्योंकि वैक्सीन भी नयी स्ट्रैन से लड़ने में 40 से 50 फीसद तक ही सक्षम है.
कोरोना की नयी स्ट्रैन ज्यादा खतरनाक हो सकती है. दूसरे डॉक्टरों ने भी अमेरिका के इस फैसले पर सहमति नही जतायी है, वैक्सीन लेने के बाद भी कोई व्यक्ति संक्रमण को फैला सकते हैं अमेरिका को इस बात का ध्यान रखकर फैसला लेना चाहिए.
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत और अमेरिका की स्थिति को एक ही तरह देखकर बताया नहीं जा सकता कि यहां कबतक मास्क लगाना होगा. हमारे देश में अबतक संक्रमण के मामले ज्यादा हैं. संक्रमण से बचाव के लिए हमें अभी एक नहीं दो – दो मास्क लगाने की जरूरत है. नयी स्ट्रैन का खतरा ज्यादा है इसलिए संक्रमण से बचाव के लिए नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए