नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने निजामुद्दीन के मरकज कार्यक्रम में भाग लेने वाले 955 विदेशी नागरिकों को बृहस्पतिवार को संस्थागत पृथक-वास केंद्रों से वैकल्पिक आवास में भेजे जाने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई की और विभिन्न विदेशी नागरिकों की तरफ से दायर दो याचिकाओं का निपटारा किया.
पीठ ने कहा कि उनमें से सभी को सरकारी पृथक-वास केंद्रों से उनके सुझाव के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी के नौ निश्चित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा. विदेशी नागरिकों को वैकल्पिक आवास भेजने की याचिकाकर्ता के वकील के सुझाव पर केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस द्वारा आपत्ति नहीं करने के बाद उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया.
साथ ही वकील ने यह भी कहा कि इस पर आने वाले खर्च को समुदाय और तबलीगी जमात वहन करेंगे. इससे पहले उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर अधिकारियों से जवाब मांगा था जिसमें 916 विदेशी नागरिकों को रिहा करने की मांग की गई थी, जिन्होंने निजामुद्दीन मरकज में हिस्सा लिया था और कोविड-19 की जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने के बाद, उन्हें 30 मार्च से संस्थागत पृथक-वास में रखा गया था.
बाद में इसी तरह की याचिका कई अन्य विदेशी नागरिकों ने दायर की थी. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा और वकील चैतन्य गोसाईं के माध्यम से राजस्व विभाग ने दायर स्थिति रिपोर्ट में विदेशी नागरिकों को अन्यत्र भेजे जाने पर कोई आपत्ति नहीं उठाई. इसी तरह दिल्ली पुलिस और केंद्र ने भी मौखिक रूप से आपत्ति नहीं जताई.उच्च न्यायालय को यह भी सूचित किया गया कि निचली अदालतों में अभी तक विदेशी नागरिकों के खिलाफ 47 आरोपपत्र दायर हो चुके हैं
Posted by : Mohan Singh