सुशांत मामले पर याचिका, केंद्र ने कहा, टीवी समाचार मामले में कानून पर्याप्त

सुशांत सिंह राजपूत ( sushant singh rajput) के मामले में दायर की गयी याचिका के मामले में केंद्र sushant singh rajput news सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि मीडिया प्रसारित की जाने वाली नियमों में कोई कमी नहीं है. इस संबंध में नियमों की कमी नहीं है. sushant singh rajput news today

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2020 8:22 PM
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सुशांत सिंह राजपूत के मामले में दायर की गयी याचिका के मामले में केंद्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि मीडिया में प्रसारित की जाने वाली नियमों में कोई कमी नहीं है. इस संबंध में नियमों की कमी नहीं है.

प्रतिवेदन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में हाल में हुई रिपोर्टिंग और उन जनहित याचिकाओं के संदर्भ में दिया गया था. इसमें कहा गया था कि हाई प्रोफाइल मामलों के कवरेज में मीडिया से संयम के साथ रिपोर्टिंग करने का कहा गया है.

केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने पीठ को बताया कि किसी भी समाचार सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण को लेकर मीडिया के लिये पर्याप्त वैधानिक व स्वनियामक तंत्र मौजूद हैं, जिसके दायरे में टीवी न्यूज मीडिया भी आता है.

एएसजी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी द्वारा पूर्व में उठाए गए सवालों का जवाब दे रहे थे. पीठ उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें मांग की गई थी कि मीडिया, खासतौर पर टेलीविजन न्यूज चैनलों को राजपूत की मौत की रिपोर्टिंग करने से रोका जाना चाहिए.

कार्यकर्ताओं, आम नागरिकों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के एक समूह द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता आस्पी चिनॉय के जरिये दायर जनहित याचिका में यह मांग भी की गई थी कि टीवी न्यूज चैनलों को इस मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ करने से रोका जाए.

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पीठ ने पिछले महीने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या प्रिंट मीडिया के लिये भारतीय प्रेस परिषद की तरह ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित सामग्री के नियमन के लिये कोई वैधानिक तंत्र उपलब्ध है. पीठ ने यह भी पूछा था कि क्या इस मुद्दे पर कानून में निर्वात मौजूद है और केंद्र सरकार यह भी स्पष्ट करे कि इस मामले में दिशानिर्देश तय करना उच्च न्यायालय के न्यायक्षेत्र में है या नहीं.

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सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायालय के पास न्यायाधिकार है, हालांकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिये नए वैधानिक तंत्र या दिशानिर्देश बनाने के लिये आवश्यकता नहीं है. शिकायतों पर नजर रखने के लिये नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की तरफ से गठित स्वतंत्र निकाय नेशनल ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि फिलहाल नियामक कार्यढांचों की कोई कमी नहीं है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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