पेट्रोल – डीजल की कीमत आसमान पर हैं. इस बीच अच्छी खबर आ रही है कि इसके बढ़ें हुए दाम आधे हो सकते हैं. यदि केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी, GST) के दायरे में ले आए तो आम आदमी को राहत मिल सकती है.
तेल की कीमत में सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं. इनका टैक्स ही इतना होता है कि पेट्रोल की कीमत आज आसमान पर है. 32 रुपये का पेट्रोल 90 से 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है. सीतारमण ने ईंधन की कीमतें नीचे लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त सहयोग की बात कही है.
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पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल और गैस कंपनियों के साथ बैठक की है. इस बैठक में बढ़ी हुई कीमतों पर चर्चा होगी. कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 के पार है.
अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी. यही नहीं, यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आयेगी . देश में जीएसटी दर – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. अभी तेल की कीमत को लेकर केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स ले रही है.
अगर पेट्रोल और डीजल से सरकार को मिलने वाले लाभ की बात करें तो चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान पेट्रोलियम क्षेत्र ने सरकारी खजाने में 2,37,338 करोड़ रुपए का योगदान दिया. इसमें से 1,53,281 करोड़ रुपए केंद्र की हिस्सेदारी थी और 84,057 रुपए का हिस्सा राज्यों के पास आया. साल 2019-20 में, राज्यों और केंद्र के लिए पेट्रोलियम क्षेत्र से कुल योगदान 5,55,370 करोड़ रुपए था .
यह केंद्र के राजस्व का लगभग 18 प्रतिशत और राज्यों के राजस्व का 7 प्रतिशत था. केंद्रीय बजट 2021-22 के अनुसार, केंद्र को इस वित्त वर्ष में केवल पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क से अनुमानित 3.46 लाख करोड़ रुपए एकत्र करने की उम्मीद है.धर्मेंद्र प्रधान ने बढ़ी हुई कीमतों को लेकर अपनी बात रखी थी जिसमें उन्होंने कहा, ईधन का कम उत्पादन बड़ी वजह है, अधिक लाभ के लिए यह किया जा रहा है जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है.