पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों को भारत में पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार (28 सितंबर) को एक अधिसूचना के माध्यम से इसकी घोषणा की. दरअसल, पीएफआई पर आतंकी फंडिंग समेत कई आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे, जिसके बाद एनआईए समेत कई जांच एजेंसियों ने 15 राज्यों से 300 के करीब पीएफआई नेता और कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है.
पीएफआई एक कट्टर इस्लामीक संगठन है. हालांकि, यह खुद को समाजीक संगठन होने का दावा करता है. पीएफआई का गठन साल 2006 में कुछ मुस्लिम संगठनों के विलय के बाद किया गया था. यह संगठन दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में ज्यादा सक्रिय है. पीएफआई की माने, तो देशभर के 15 से अधिक राज्यों में इसके कार्यकर्ता हैं. बताते चले कि पीएफआई पर पिछले कई सालों से आतंकी फंडिंग लेने और कई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगते रहे हैं.
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूर्व में भी कई राज्य सरकारों ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. दरअसल, पीएफआई पर आतंकी फंडिंग के अलावा देश विरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप लगते रहे हैं. बता दें कि भारत में जब भी कोई बड़ी घटना होती है तब पीएफआई को आरोपों के घेरे में रखा जाता है. सीएए- एनआरसी आंदोलन,, राजस्थान दर्जी हत्या, मध्यप्रदेश खरगौन हिंसा समेत कई मामलों में पीएफआई का नाम सामने आया है.
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एनआईए समेत कई जांच एजेंसियों ने पीएफआई को देश के लिए खतरा बताया है. कट्टर इस्लामिक विचारधारा से प्रेरित पीएफआई पर जांच एजेंसियों ने धर्मांतरण में लिप्त होने की बात कही हैं. इसके अलावा एजेंसियों ने पीएफआई पर नए युवाओं को बरगला कर आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए उसकाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की बात कही है.
देशभर के 15 से अधिक राज्यों में एनआईए ने पीएफआई के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की है. इनमेें, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, केरल, तमिलनाडु. कर्नाटक, मुंबई सहित कई जगहों पर छापे मारे जा चुके हैं. वहीं, इस कार्रवाई में पुलिस ने सैकड़ों की संख्या में पीएफआई नेता और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है.