शिवसेना नेता संजय राउत का सवाल, पेगासस पर खर्च किए गए 4.8 करोड़ डॉलर, कहां से आएं पैसे?

Pegasus Case पेगासस फोन हैकिंग विवाद के मुद्दे पर सियासत गर्माता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए सवाल पूछा है. संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे अपने लेख में कहा है कि पेगासस जासूसी में 4.8 करोड़ डॉलर खर्च किए गए है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2021 4:07 PM
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Sanjay Raut Over Pegasus Phone Hacking Case पेगासस फोन हैकिंग विवाद के मुद्दे पर सियासत गर्माता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए सवाल पूछा है. संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे अपने लेख में कहा है कि पेगासस जासूसी में 4.8 करोड़ डॉलर खर्च किए गए है. उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की है.

शिवसेना नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में पेगासस मामले को लेकर एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला है. संजय राउत ने पेगासस के फंडिंग की जांच कराने की मांग की है. शिवसेना नेता ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सिर्फ 2019 में पेगासस जासूसी पर 4.8 करोड़ डॉलर खर्च किए गए. संजय राउत ने आगे लिखा है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 50 फोन की जासूसी करने पर 80 लाख डॉलर का खर्च आता है. 300 लोगों के फोन की जासूसी पर 2019 में 4.8 करोड़ डॉलर खर्च किए गए.

संजय राउत ने कहा कि यह आंकड़ा सिर्फ 2019 का है. जबकि, 2020 और 2021 में इससे कहीं ज्यादा खर्च हुए होंगे. सवाल खड़ा करते हुए संजय राउत ने आगे लिखा है कि यह पैसा किसकी जेब से खर्च हुआ है. इस पूरे मामले का पता जांच से ही चल पाएगा. आरोप है कि इजराइली जासूसी ऐप पेगासस से देश के 300 से ज्यादा नेताओं, पत्रकारों और मंत्रियों के फोन टेप किए गए.

इससे पहले राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा था कि अगर इतने लोगों को फोन हैक किए जा रहे थे, तो जरूर इसके पीछे कोई मकसद रहा होगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सामने आकर सफाई देनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार से पेगासस मामले को लेकर देश में सियासी बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है. पिछले सोमवार को संसद के मानसून सत्र का पहला दिन था, लेकिन पेगासस मामले के कारण दोनों सदन में हंगामे के कारण कामकाज ठप रहा.

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