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ओडिशा क्रैश साइट पर बैठे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की तस्वीर वायरल, जानें क्या है कारण

वैष्णव के इस्तीफे की मांग तेज होने के साथ ही भाजपा नेता मंत्री के समर्थन में आ गए और दुर्घटनास्थल पर मंत्री की कई तस्वीरें वायरल हुईं. इनमें से एक में रेल मंत्री को ट्रेन के क्षतिग्रस्त हिस्से के नीचे जाते हुए देखा गया था.

ओडिशा में कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरू-हवड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच हुई भीषण ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना में 288 लोगों की मौत के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) निशाने पर आ गए हैं. विपक्षी नेताओं ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह भयानक हादसा सिग्नल फेल होने, तकनीकी खराबी या किसी तोड़फोड़ के कारण हुआ था. कल सुबह घटनास्थल पर पहुंचे अश्विनी वैष्णव ने जांच के आदेश दिए और कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कारण पता चलेगा. वैष्णव ने आगे बताते हुए यह भी कहा कि टोल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बहस के बाद यह राजनीति में शामिल होने का समय नहीं था.

मंत्री की कई तस्वीरें हुईं वायरल

वैष्णव के इस्तीफे की मांग तेज होने के साथ ही भाजपा नेता मंत्री के समर्थन में आ गए और दुर्घटनास्थल पर मंत्री की कई तस्वीरें वायरल हुईं. इनमें से एक में रेल मंत्री को ट्रेन के क्षतिग्रस्त हिस्से के नीचे जाते हुए देखा गया था. दूसरे तस्वीर में, मंत्री को रात में अधिकारियों के साथ बैठे देखा गया था क्योंकि, वह बचाव अभियान के बाद शुरू हुई पटरियों की बहाली की देखरेख भी कर रहे थे.


सुझाव देने के लिए हमेशा तैयार ममता बनर्जी

ओडिशा दुर्घटना के बाद वैष्णव और 2010 में ज्ञानेश्वरी के बाद ममता बनर्जी के बीच समानताएं खींची गई, जिसमें ममता बनर्जी की दुर्घटना के तुरंत बाद कोलकाता में एक राजनीतिक रैली में भाग लेने की क्लिप दिखाई गई थी. जैसा कि ममता बनर्जी ने तर्क दिया कि रोल लगभग 500 हो सकता है और 3 कोचों में बचाव लंबित था, अश्विनी वैष्णव ने उनके साथ खड़े होकर कहा- सारा पूरा हो गया है, दीदी (बचाव कार्य पूरा हो गया है). वैष्णव ने बाद में तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि ध्यान बहाली पर था. ममता ने कहा कि रेलवे उनके बच्चे की तरह है और वह अपने सुझाव देने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं.

2021 में पहली बार बने मंत्री

अश्विनी वैष्णव साल 2021 में पहली बार मंत्री बने. एक आईएएस अधिकारी के रूप में उनके लंबे करियर, जिन्होंने ओडिशा में बड़े पैमाने पर काम किया और आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से इंजीनियरिंग की डिग्री ने उन्हें नरेंद्र मोदी कैबिनेट में अलग खड़ा कर दिया. विपक्ष के इस्तीफे की मांग के खिलाफ मंत्री के बचाव में उन्हीं साख का हवाला दिया जा रहा है.

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