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20 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष, जानें देश में कहां-कहां होता है पिंडदान, क्या है कोरोना गाइडलाइन

Pitru Paksha 2021 : वैसे तो भारत में गया को पिंडदान के लिए सबसे श्रेष्ठ तीर्थस्थल माना गया है, लेकिन इसके अलावा उत्तराखंड के ब्रह्मकपाल, मध्यप्रदेश के उज्जैन और महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में भी पिंडदान की परंपरा रही है. यह तमाम तीर्थ स्थल धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2021 10:59 PM

20 सितंबर 2021 से देश में पितृपक्ष शुरू हो रहा है. यह समय होता है अपने पूर्वजों को याद करने का उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस काल में अपने पूर्वजों के नाम पर पिंडदान किया जाता है. कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से देश में कई प्रतिबंध लागू हैं, जिसकी वजह से पितृपक्ष के अवसर पर लगने वाला मेला प्रतिबंधित है,लेकिन सरकार ने कोरोना गाइडलाइन के तहत कई तरह की छूट दी है, जिसकी वजह से पिंडदान करना संभव है.

देश में इन जगहों पर होता है पिंडदान

वैसे तो भारत में गया को पिंडदान के लिए सबसे श्रेष्ठ तीर्थस्थल माना गया है, लेकिन इसके अलावा उत्तराखंड के ब्रह्मकपाल, मध्यप्रदेश के उज्जैन और महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में भी पिंडदान की परंपरा रही है. यह तमाम तीर्थ स्थल धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण हैं.

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गया में क्या है गाइडलाइन

कोरोना वायरस की वजह से गया में लगातार दूसरे साल भी पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है. लेकिन श्रद्धालुओं को कोरोना प्रोटोकाॅल के तहत पिंडदान की इजाजत दी गयी है. पिछले साल ही यहां आनलाइन पिंडदान भी शुरु हुआ था. पिंडदान के लिए अन्य तीर्थस्थलों पर भी कोरोना प्रोटोकाॅल के तहत पिंडदान की व्यवस्था की गयी है.

पिछले साल भी थी पाबंदी

कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश में पिछले साल भी पितृपक्ष के मौके पर मेले का आयोजन नहीं किया गया था. हालांकि पुजारियों ने मेले के आयोजन को लेकर बहुत दबाव बनाया था. वैसे भी कोरोना की दूसरी लहर के बाद धार्मिक स्थलों को काफी दिनों तक बंद रखा गया था. हालांकि अब ज्यादारतर राज्यों में धार्मिक स्थल खोल दिये गये हैं लेकिन कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन आवश्यक है.

Posted By : Rajneesh Anand

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