कोरोना संक्रमण को लेकर नये शोध के बाद प्लाज्मा थेरेपी को नकार दिया गया है. नेशनल कोविड टास्क फोर्स ने प्लाज्मा थेरेपी को कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से ये कहते हुए हटा दिया है कि ये कारगर नहीं है. अब इसे लेकर नयी बहस छिड़ गयी है.
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आईएमए यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्लाज्मा थेरेपी का समर्थन किया है. अब इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है कि क्या प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज संभव है या नहीं, अगर संभव नहीं है तो इतने लंबे वक्त से चले आ रहे इस अभियान से देश को क्या लाभ हुआ और इस सच्चाई का पता लगाने में हमें इतना वक्त क्यों लग गया.
रिसर्च में यह बात सामने आयी की प्लाज्मा थेरेपी कोरोना संक्रमण के इलाज में ज्यादा कारगर नहीं है. नेशनल टास्क फोर्स ने प्लाज्मा थेरेपी को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से यह कहते हुए बाहर कर दिया कि इससे ना तो कोरोना संक्रमण पर रोक लगी और ना ही मौत का आंकड़ा कम करने में मदद मिली.
इसके बाद अब तीन लाख से ज्यादा सदस्यों वाली संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन प्लाज्मा थेरेपी पर भरोसा दिखा रही है. आईएमए के वित्त सचिव डॉ अनिल गोयल ने कहा, प्लाज्मा थेरेपी मरीज की देखभाल करने वाले रिश्तेदार की मंजूरी से दिया जा सकता है.
अब सवाल यह है कि यह कारगर है या नहीं एक तरफ रोक लग रही है तो दूसरी तरफ डॉक्टरों की संस्था यह बता रही है कि कैसे मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी से मदद दी जा सकती है. इस पर किये गये शोधकर्ताओं की मानें तो कोरोना संक्रमण एक नयी बीमारी थी इसलिए इसे समझने में इतना वक्त लग गया.
शोध में यह पाया गया कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया गया उनमें इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ लेकिन कोई खास फायदा भी नहीं हुआ.कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए सभी डॉक्टरों को सरकार द्वारा बनायी गयी रणनीति का पालन करना होगा.