MP News : समाज में बड़े बदलावों की नींव छोटे-छोटे कदमों से पड़ती है और देश के सबसे साफ शहर इंदौर के एक श्रमिक बहुल क्षेत्र से सटी सब्जी मंडी स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में इसका उदाहरण है. शहर के राजकुमार ब्रिज के नीचे चल रही इस सब्जी मंडी में दुकानदारों ने प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग लगभग बंद कर दिया है और इनका स्थान कपड़े की थैलियों ने ले लिया है. सब्जी मंडी में हर दुकान के सामने डस्टबिन (कूड़ेदान) भी रखा नजर आता है.
सब्जी मंडी के एक दुकानदार आदित्य वर्मा ने रविवार को बताया कि हम ग्राहकों से कहते हैं कि वे अपने साथ थैला लेकर सब्जी मंडी आएं. जो ग्राहक अपने साथ थैला लेकर नहीं आता, हम उसे कपड़े की थैली में सब्जी देते हैं. हालांकि, प्लास्टिक की थैलियों के मुकाबले हमें कपड़े की थैलियां महंगी पड़ती हैं. सब्जी मंडी के दुकानदारों का कहना है कि पहले ग्राहक उनसे प्लास्टिक की थैलियों की मांग करते थे, लेकिन एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर शहर में पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ज्यादातर ग्राहकों की आदत बदल गई है.
शहर की एक निजी कंपनी में काम करने वाली दीपिका (25) ऐसे ग्राहकों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मैं अपने घर से थैला लेकर सब्जी मंडी आई हूं, क्योंकि प्लास्टिक की थैलियों से पर्यावरण को नुकसान होता है और इन्हें नष्ट होने में बहुत वक्त लगता है. बेसहारा पशु जब इन थैलियों को खाते हैं, तो इससे उन्हें जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं. इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधिकारियों ने बताया कि शहर की सब्जी मंडियों से निकलने वाले गीले कचरे को देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर चलाए जा रहे ‘गोबर-धन’ संयंत्र में भेजा जाता है, जहां इसका बायो-सीएनजी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.
प्रदेश सरकार ‘‘गोबर-धन’’ को शहरी क्षेत्र से निकले गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाना वाला एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र बताती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित कार्यक्रम में 150 करोड़ रुपये की लागत से बने इस संयंत्र का उद्घाटन किया था. केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर लगातार छह वर्षों से अव्वल बना हुआ है और देश के सबसे साफ शहर के अपने खिताब को वर्ष 2023 के जारी स्वच्छता सर्वेक्षण में कायम रखने की पुरजोर कोशिश कर रहा है.
आईएमसी अधिकारियों के मुताबिक, स्वच्छता के क्षेत्र में शहर की सतत सफलता कचरा प्रबंधन के ‘3 आर’ (रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल) फॉर्मूला को कुशलता से अमलीजामा पहनाने पर टिकी है.