PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के साथ वार्ता किया. दो दिवसीय इस सम्मेलन की मेजबानी इस बार गुजरात के एकता नगर में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा की जा रही है. बता दें कि पीएम मोदी इस सम्मेलन को ऑनलाइन वीडियो कॉल के माध्यम से संबोधित किया. कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के ऑल इंडिया सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है.
‘प्रौद्योगिकी भारत में न्यायिक प्रणाली का एक अभिन्न अंग बन गयी’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रौद्योगिकी भारत में न्यायिक प्रणाली का एक अभिन्न अंग बन गयी है. वर्चुअल हियरिंग और ई-फाइलिंग जैसी कानूनी सेवाओं में डिजिटल नवाचार भारत में पहले ही शुरू हो चुके हैं और 5जी सेवाएं इन तकनीकों को और मजबूत करेंगी. साथ ही उन्होंने कहा कि गुजरात में, हमने शाम की अदालतें शुरू कीं. इन अदालतों में छोटे-मोटे अपराधों के मामलों की सुनवाई की गई, जिससे अदालतों पर बोझ कम हुआ और मामलों का त्वरित समाधान हुआ. जब कानून और व्यवस्था सामाजिक प्रगति के साथ तालमेल बिठाती है, तो यह सुनिश्चित करता है कि न्याय में आसानी हो.
‘उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ना हमारे लिए जरूरी’
कानून मंत्रियों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पीछे हटने वाले औपनिवेशिक कानूनों को हटाकर उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ना हमारे लिए जरूरी है, तभी भारत सही मायने में प्रगति कर सकता है. पिछले 8 वर्षों में, हमने जीवन को आसान बनाने के लिए 32,000 अनुपालनों को हटा दिया. उन्होंने कहा कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी.
‘चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की’
पीएम मोदी ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है. हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है. हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है. लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं. देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं. कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है.