PM Modi: अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ” यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे जन्म के समय से भगवान बुद्ध से जुड़ाव की जो यात्रा शुरू हुई, वह अनवरत जारी रही है. मेरा जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ, जो कभी बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था. पिछले 10 वर्षों में मुझे भारत के ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों से लेकर दुनिया के विभिन्न देशों में, नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन से लेकर मंगोलिया में उनकी प्रतिमा के अनावरण तक कई पवित्र कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिला है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “अभिधम्म दिवस के इस अवसर पर मैं भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को शुभकामनाएं देता हूं. आज शरद पूर्णिमा का पावन पर्व भी है. आज भारतीय चेतना के महान ऋषि वाल्मीकि जी की जयंती भी है. मैं सभी देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती की भी बधाई देता हूं. इसी महीने भारत सरकार द्वारा पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है. पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का यह दर्जा भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है.”
PM मोदी ने कहा, “भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा होती है. इसलिए पाली भाषा को जीवित रखना, भगवान बुद्ध की वाणी को उसके मूल मूल्यों के साथ जीवित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है. मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने इस जिम्मेदारी को बहुत विनम्रता के साथ निभाया है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आजादी से पहले आक्रमणकारी भारत की पहचान को मिटाने में लगे थे और आजादी के बाद लोग गुलामी की मानसिकता के शिकार हो गए. भारत पर ऐसे इकोसिस्टम का कब्जा था जिसने हमें विपरीत दिशा में धकेलने का काम किया. पाली भाषा को उसका सही स्थान मिलने में सात दशक लग गए. देश अब स्वाभिमान, आत्म-विश्वास, आत्म-गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है. इसके चलते देश बड़े फैसले ले रहा है. इसलिए आज पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है और साथ ही मराठी भाषा को भी वही सम्मान मिले. इसी तरह हमने बंगाली, असमिया और प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि पूरी दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में समाधान मिलेगा. आज अभिधम्म दिवस के अवसर पर मैं पूरी दुनिया से अपील करता हूं कि वे बुद्ध से सीखें, युद्ध को खत्म करें, शांति का मार्ग प्रशस्त करें क्योंकि बुद्ध कहते हैं कि शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है.”