PM मोदी ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को 86वें जन्मदिन की दी बधाई, AIMIM प्रमुख ने ट्वीट कर कसा तंज, कहा…
PM Narendra Modi, Dalai Lama, Asaduddin Owaisi : नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन की बधाई दी है. वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट पर निशाना साधा है.
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन की बधाई दी है. वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट पर निशाना साधा है.
Prime Minister Narendra Modi greets the Dalai Lama on his
86th birthday, says, "We wish him a long and healthy life." pic.twitter.com/vLax6L2u8L— ANI (@ANI) July 6, 2021
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए कहा है कि ”बहुत अच्छा, सर! लेकिन अगर आप दलाई लामा से व्यक्तिगत रूप से मिले होते, तो इससे चीन को कड़ा संदेश जाता.”
Very good, sir! But it would have sent a strong message to China had you met HH Dalai Lama in person https://t.co/gtjOwW58GB
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 6, 2021
मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा एलएसी पर दोनों देशों के बीच पिछले साल दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद से तनाव है. हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गये थे. हालांकि, इसके बाद दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता की जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि ”परम पावन दलाई लामा से उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए फोन पर बात की. हम उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं.”
मालूम हो कि दलाई लामा का वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है. उनका जन्म छह जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के तकछेर के ओमान परिवार में हुआ था. वह 14वें दलाई लामा है. साल 1989 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. मानवता की रक्षा के लिए पुनर्जन्म लेने की अवधारणा के कारण उन्हें सम्मान से परम पावन भी कहा जाता है.
अपने 86वें जन्मदिन पर उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी. उन्होंने कहा कि भारत में शरण लेने के बाद से मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का लाभ लिया. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि शेष जीवन को भी प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनजीर्वित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा.