अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को खारिज कर दिया है. केंद्रीय सूचना आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से जानकारी मांगे जाने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय को डिग्री के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया था. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के 2016 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमए डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी देने का निर्देश दिया गया था. इसके साथ ही, अदालत ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसे गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के लिए कहा गया है.
सात साल पहले सीआईसी ने दिया था आदेश
समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के सात साल पुराने उस आदेश को शुक्रवार को रद्द कर दिया, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था. सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (जीएसएलएसए) में राशि जमा करने के लिए कहा. केजरीवाल के वकील पर्सी कविना के अनुरोध के बावजूद न्यायमूर्ति वैष्णव ने अपने आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
अप्रैल 2016 सीआईसी के आदेश पर लगी थी रोक
अप्रैल 2016 में तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी को प्राप्त डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. तीन महीने बाद गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी, जब विश्वविद्यालय ने उस आदेश के खिलाफ अदालत का रुख किया. सीआईसी का यह आदेश केजरीवाल द्वारा आचार्युलु को पत्र लिखे जाने के एक दिन बाद आया था, जिसमें कहा गया कि उन्हें (केजरीवाल) अपने सरकारी रिकॉर्ड को सार्वजनिक किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है और हैरानी है कि आयोग मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी को छिपाना क्यों चाहता है. पत्र के आधार पर आचार्युलु ने गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को मोदी की शैक्षणिक योग्यता का रिकॉर्ड देने का निर्देश दिया.
पीएम मोदी की डिग्री पहले से ही सार्वजनिक है : सॉलिसिटर जनरल
पिछली सुनवाइयों के दौरान गुजरात विश्वविद्यालय ने सीआईसी के आदेश पर जोरदार आपत्ति जताते हुए कहा था कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत किसी की ‘गैर-जिम्मेदाराना बचकानी जिज्ञासा’ सार्वजनिक हित नहीं बन सकती है. फरवरी में हुई पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी ‘पहले से ही सार्वजनिक है’ और विश्वविद्यालय ने पूर्व में एक खास तारीख पर अपनी वेबसाइट पर जानकारी को सार्वजनिक किया था.
बचकाना हमले के लिए आरटीआई का इस्तेमाल
सीआईसी के आदेश का पालन नहीं करने के लिए आरटीआई अधिनियम के तहत दिए गए अपवादों का हवाला देते हुए मेहता ने यह भी दलील दी थी कि आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल ‘हित साधने’ और प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ ‘बचकाना प्रहार’ करने के लिए किया जा रहा है. आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के तहत दी गई छूट के बारे में सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट द्वारा दिए गए पूर्व के कुछ फैसलों का हवाला देते हुए मेहता ने यह भी कहा कि कोई किसी की व्यक्तिगत जानकारी महज इसलिए नहीं मांग सकता, क्योंकि वह इसके बारे में उत्सुक है.