नये संसद भवन की लोकसभा में पीएम मोदी का पहला संबोधन, अतीत की कड़वाहट भूल कर आगे बढ़ने की अपील
पीएम मोदी ने कहा कि गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी दवेता हैं. इस पावन दिवस पर हम समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं. कहा कि इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का पर्व भी कहते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नये संसद भवन स्थित लोकसभा में अपना पहला संबोधन दिया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि संसद का नया भवन 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है. प्रथम सत्र के प्रथम दिवस का यह अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है. नये संसद भवन में प्रवेश आजादी के अमृतकाल का उषाकाल है. भारत नये संकल्प लेकर नये भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है.
कहा कि जब हम नये अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं, तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए. इस भावना के साथ कि हम यहां से हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के लिए वह प्रेरणा का कारण बनना चाहिए. हमें इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि गणेश जी शुभता और सिद्धि के देवता हैं.
गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी दवेता हैं. इस पावन दिवस पर हम समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं. कहा कि इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का पर्व भी कहते हैं. यह ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहने का भी दिन है. मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे हृदय से सभी संसद सदस्यों और समस्त देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म.
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आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा ‘सेंगोल’
पीएम मोदी ने नये संसद भवन में स्थापित ‘सेंगोल’ यानी राजदंड का जिक्र किया. कहा कि यह भवन नया है, व्यवस्थाएं नयी हैं, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक विरासत का प्रतीक भी मौजूद है. आज जब संसदीय लोकतंत्र का नया गृह प्रवेश हो रहा है, तब आजादी की पहली किरण का साक्षी रहा यह ‘सेंगोल’ आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा. यह पवित्र सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था.
लोकसभा चुनाव दूर एकजुटता जरूरी
पीएम मोदी ने कहा कि अभी चुनाव दूर है और इस लोकसभा में जितना समय बचा है, उसमें सदस्यों का व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन सत्ता में बैठेगा और कौन विपक्ष में. हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं, लेकिन संकल्प एकजुट होते हैं. इसलिए हमें एकजुटता के लिए भरपूर प्रयास करते रहने चाहिए. हमारी संसद ने राष्ट्रहित के तमाम बड़े अवसरों पर इसी भावना से काम किया है.
भवन बदल गया है भाव भी बदलने चाहिए
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हमारी भावनाएं हमारे आचरण में हमारा मार्गदर्शन करेंगी. भवन बदल गया है, भाव भी बदलना चाहिए. देश की सेवा करने के लिए संसद सर्वोच्च पद है. उन्होंने रेखांकित किया कि सदन किसी राजनीतिक दल के लाभ के लिए नहीं है, बल्कि केवल राष्ट्र के विकास के लिए है. प्रधानमंत्री ने कहा कि सदस्यों के रूप में, हमें अपने शब्दों, विचारों और कार्यों से संविधान की भावना को बनाये रखना चाहिए.
महिला सांसदों ने कीं पुराने संसद भवन की स्मृतियां साझा
साल 2006 में संसद देखने से लेकर 2009 में पहली बार की सांसद बनने तक, फिर 2019 में पहली बार मंत्री बनने तक लोकतंत्र के इस मंदिर में इन 144 स्तंभों ने मेरे लिए ढेर सारी यादें संजोकर रखी है. इतिहास और हजारों भारतीय कलाकारों, मूर्तिकारों और मजदूरों की हस्तकला से सुसज्जित यह खूबसूरत इमारत मेरे लिए गहन शिक्षा का स्थान रही है.
– हरसिमरत कौर बादल, सांसद, शिअद
यादें, सीख, नीति निर्माण, दोस्ती. इतिहास और चमत्कार की इस सुंदरता ने गहन चर्चा, व्यवधान, दिग्गज नेताओं और इतिहास निर्माताओं को देखा है. संसद ने आत्मविश्वास से भरे एक राष्ट्र के रूप में हमारी 75 साल की यात्रा को आकार दिया है. इस यात्रा का हिस्सा बन कर गर्व है और आशा है कि इस संसद भवन का सार नये भवन में बना रहेगा.
– प्रियंका चतुर्वेदी, सांसद, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से 2014 में पहला संसदीय चुनाव जीतने पर संसद भवन के पवित्र परिसर में प्रवेश करना मेरे लिए भावुक और विनम्र क्षण था. उस वक्त मैंने महसूस किया कि मैं एक ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश कर रही हूं, जिसने भारत को आजादी पाते हुए देखा, संविधान बनते और देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं को बढ़ते व मजबूत होते हुए देखा.
– अनुप्रिया पटेल, सांसद, अपना दल (सोनेलाल)
इस इमारत की मेरे दिल में हमेशा खास जगह रहेगी. यह वह सदन है, जहां पहली बार सांसद के रूप में मैं गयीं और यह घर बन गया. इस महान भवन ने सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को गले लगाया. इसके सुरक्षा कवच में हमें हमारा छोटा-सा कोना तलाशने में मदद की. ये हमारी जिम्मेदारी होगी कि भले ही इमारत बदल जाये, लेकिन ये स्वतंत्रता का प्रतीक बनी रहे.
– महुआ मोइत्रा, सांसद, तृणमूल कांग्रेस
महाराष्ट्र और बारामती की जनता के प्रति अपना आभार जताना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बनने और संसद की खूबसूात इमारत का हिस्सा बनने का मौका दिया. सत्रों में भाग लेने का मौका मिला. यह खूबसूरत इमारत उन नेताओं की आवाज को प्रतिबिंबित करता है, जिन्होंने हमारे सुंदर देश के विकास में योगदान दिया.
– सुप्रिया सुले, सांसद, एनसीपी
1986 में सियोल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद एक दर्शक के रूप में मैंने पहली बार इस खूबसूरत संसद भवन की यात्रा की थी. वह समय आज भी याद है कि सभी माननीय सांसदों ने मुझे बधाई और शुभकामनाएं दी थीं. 27 जुलाई, 2022 का दिन मेरे लिए बहुत खास था. जीवन में पहली बार मैंने जब राज्यसभा में कदम रखा, तो हरि ओम का उच्चारण किया.
– पीटी ऊषा, राज्यसभा सदस्य
पहली बार जब मैंने संसद में प्रवेश किया, वह मेरे लिए यादगार क्षण है. आप, मैं, संसद की यह पीढ़ी आगे न जाने कहां होगी. पिछले दस वर्ष संसद में मैंने बहुत-सी चीजें सीखीं. इस संसद के साथ शानदार यादें जुड़ी हैं. इस संसद ने मुझे बहुत सारी चीजें सीखने का मौका दिया. यह वाकई में लोकतंत्र का मंदिर है.
– नवनीत राणा, निर्दलीय सांसद