कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जी -7 शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल होने को लेकर बढ़ा-चढ़ा कर बातें की जा रही हैं ताकि फर्जी विमर्श गढ़ा जा सके. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि वाह-वाह करने से सिर्फ शासन की निरंतरता और पूर्व की सरकारों के योगदान को मिटाने का मकसद पूरा होता है.
The hype factory around the self-styled Vishwaguru attending the G7 Summit in Hiroshima in Japan has started manufacturing fake narratives.
Here’s the reality:
Summits of developed countries started way back in 1976. India was invited along with few other countries for the first…— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 19, 2023
जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘जापान के हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले स्वयंभू विश्वगुरु के इर्द-गिर्द प्रचार की फैक्ट्री ने नकली आख्यानों का निर्माण शुरू कर दिया है. हकीकत ये है कि, विकसित देशों के शिखर सम्मेलन 1976 में बहुत पहले शुरू हो गए थे. 2003 में पहली बार कुछ अन्य देशों के साथ भारत को आमंत्रित किया गया था. डॉ. मनमोहन सिंह नियमित रूप से ऐसे G7+ शिखर सम्मेलनों में भाग लेते थे. इसलिए यह वाह-वाह करने से न सिर्फ ‘द ग्रेट लीडर’ के खुद के महिमामंडन का लक्ष्य पूरा होता है, बल्कि शासन की निरंतरता और पूर्व की सरकारों की योगदान को मिटाने का मकसद भी पूरा होता है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की छह दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए जहां वह जी-7, क्वाड समूह सहित कुछ बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में भाग लेंगे. समझा जाता है कि इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री 40 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे जिनमें वह शिखर सम्मेलनों में विश्व के दो दर्जन से अधिक नेताओं के साथ बातचीत करेंगे. इनमें द्विपक्षीय बैठकें भी शामिल हैं.
तीन देशों की छह दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले एक बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह जी-7 देशों और अन्य आमंत्रित साझेदारों के साथ दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों और उनसे सामूहिक रूप से निपटने की जरूरत पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर उत्सुक हैं
Also Read: G-7 में हिस्सा लेने पीएम मोदी जापान रवाना, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया का भी करेंगे दौरा