Pm modi mann ki batt, kisan bill: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गांव, किसान और देश के कृषि क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का आधार बताते हुए कहा कि ये जितने मजबूत होंगे, ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नींव भी उतनी ही मजबूत होगी. रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 69वीं कड़ी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि संसद से पारित कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद देशभर के किसानों को अब उनकी इच्छा के अनुसार, जहां ज्यादा दाम मिले वहां बेचने की आजादी मिल गई है.
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कई राज्यों के किसानों और कुछ किसान संगठनों के अनुभवों तथा उनकी सफल कहानियों को साझा करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि कैसे उन्हें उनके उत्पादों के एपीएमसी (कृषि उत्पाद विपणन समितियां) कानून से बाहर होने का फायदा मिला और कैसे अब वे बिना बिचौलिए के सीधे बाजार में अपने उत्पादों को बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के किसान उन्हें चिट्ठियां भेजकर और कुछ किसान संगठनों ने निजी बातचीत में उन्हें बताया कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं और बदलाव आ रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण के बीच देश में बंपर फसल उत्पादन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन दौर में भी कृषि क्षेत्र और देश के किसानों ने फिर से अपना दमखम दिखाया है. उन्होंने कहा, हमारे यहां कहा जाता है कि जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वह बड़े से बड़े तूफानों में भी उतना ही अधिक रहता है. कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है. संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है.
मोदी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ सफल किसानों तथा किसान समूहों का जिक्र करते हुए कहा कि बीते कुछ समय में कृषि क्षेत्र ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है और अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है. मोदी ने कहा कि इन किसानों के पास अपने फल-सब्जियों को कहीं पर भी और किसी को भी बेचने की ताकत है तथा ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है. उन्होंने कहा कि अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है. फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहे हैं – धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर, बेचने की अब उनको आज़ादी मिल गई है
उल्लेखनीय है कि संसद से पारित कृषि संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) न सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया है, बल्कि इसकी वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया था. मोदी ने कहा कि आज की तारीख में खेती को जितना आधुनिक विकल्प मिलेगा, उतनी ही वो आगे बढ़ेगी, उसमें नए-नए तौर-तरीके आयेंगे, नए आयाम जुड़ेंगे.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद हाल में कृषि विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को संसद से पारित कर दिया गया था. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गयी कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कर लगाने से रोकता है और किसानों को अपनी उपज को लाभकारी मूल्य पर बेचने की स्वतंत्रता देता है.
वर्तमान में, किसानों को पूरे देश में फैले 6,900 एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति है। मंडियों के बाहर कृषि-उपज बेचने में किसानों के लिए प्रतिबंध हैं. देशभर के कई हिस्सों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान तथा किसान संगठन इन विधेयकों को किसान विरोधी बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस ने तो कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ शनिवार को सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया और इसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों से किसानों पर कथित अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की.
कांग्रेस का कहना है कि एपीएमसी कानून आज किसानों के बड़े तबके के लिए एक सुरक्षा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), मूल्य निर्धारण का एक संकेत है जिसके आधार पर बाजार कीमतें तय करता है. कांग्रेस का दावा है कि ये विधेयक एमएसपी के इस महत्व को खत्म कर देंगे और एपीएमसी कानून भी निष्प्रभावी हो जाएगा.
Posted By: Utpal kant