प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) मन की बात (Mann ki Baat) रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से देश के लोगों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना वैक्सीन, स्वच्छता, त्योहार सहित कई मुद्दों पर बात की. आइए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की बड़ी बातें…
-कुछ दिन बाद दिवाली आ रही है. उसके बाद गोवर्धन पूजा, फिर भाई-दूज, ये तीन त्योहार तो होंगे ही, इसी दौरान छठ पूजा भी होगी. नवम्बर में गुरुनानक देव जी की जयंती भी है. आप सब भी खरीदारी का प्लान कर रहे होंगे. लेकिन याद है न, खरीदारी मतलब है वोकल फॉर लोकल. आप लोकल खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी.
– बीते कुछ वर्षों में हमारे देश में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है, उस पर अक्सर मुझे ‘मन की बात’ के श्रोता, अपनी बातें लिखते रहते हैं. ड्रोन टेक्नॉलॉजी का विषय विशेषकर हमारे युवाओं और छोटे-छोटे बच्चों तक की कल्पनाओं में छाया हुआ है. भारत, दुनिया के उन पहले देशों में से है, जो ड्रोन की मदद से अपने गाँव में जमीन के डिजीटल रिकॉर्ड तैयार कर रहा है. पहले इस सेक्टर में इतने नियम, कानून और प्रतिबंध लगाकर रखे गए थे कि ड्रोन की असली क्षमता का इस्तेमाल भी संभव नहीं था. हमने तय किया कि इस माइंड सेट को बदला जाए और नए ट्रेंड को अपनाया जाए. इसीलिए इस साल 25 अगस्त को देश एक नई ड्रोन नीति लेकर आया.
-पीएम मोदी ने कहा कि 100 करोड़ वैक्सीन डोज के बाद आज देश नए उत्साह, नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है. हमारे वैक्सीन कार्यक्रम की सफलता, भारत के सामर्थ्य को दिखाती है, सबके प्रयास के मंत्र की शक्ति को दिखाती है.100 करोड़ वैक्सीन डोज का आंकड़ा बहुत बड़ा जरुर है, लेकिन इससे लाखों प्रेरक और गर्व से भर देने वाले अनुभव व उदाहरण जुड़े हुए हैं. हमारे स्वास्थ्य-कर्मियों ने अपने अथक परिश्रम और संकल्प से एक नई मिसाल पेश की है.
-हेल्थ वर्कर के परिश्रम की वजह से ही भारत सौ-करोड़ वैक्सीन डोज का पड़ाव पार कर सका है. आज मैं आपका और हर उस भारतवासी का आभार व्यक्त कर रहा हूं, जिसने ‘सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन’ अभियान को इतनी ऊंचाई दी, कामयाबी दी.
-पीएम मोदी ने कहा कि 31 अक्तूबर को सरदार पटेल जी की जन्म जयंती है. इस दिन को हम ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाते हैं. हम सभी का दायित्व है कि हम एकता का संदेश देने वाली किसी-ना-किसी गतिविधि से जरुर जुड़ें. मैं लौहपुरुष को नमन करता हूं. सरदार साहब कहते थे कि “हम अपने एकजुट उद्यम से ही देश को नई महान ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं. अगर हममें एकता नहीं हुई तो हम खुद को नई-नई विपदाओं में फंसा देंगे.
-पीएम मोदी ने कहा कि मानव मन के अंतर्मन को विकसित करने में, हमारे अंतर्मन की यात्रा का मार्ग बनाने में भी, गीत-संगीत और विभिन्न कलाओं की, बड़ी भूमिका होती है. अमृत महोत्सव में भी अपनी कला, संस्कृति, गीत, संगीत के रंग अवश्य भरने चाहिये. मुझे आपकी तरफ से अमृत महोत्सव और गीत-संगीत-कला की ताकत से जुड़े ढ़ेरों सुझाव आ रहे हैं. इन्हीं में से एक सुझाव है, देशभक्ति के गीतों से जुड़ी प्रतियोगिता. संस्कृति मंत्रालय तहसील स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक ऐसी प्रतियोगिता कराने की तैयारी कर रहा है.
-इस समय हम अमृत महोत्सव में देश के वीर बेटे-बेटियों को को याद कर रहे हैं. अगले महीने, 15 नवम्बर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है. बिरसा मुंडा ने आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों की जड़ें हिलाकर रख दी. वे प्राकृति प्रेमी थे. हमें उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. ब्रिटिश हुकुमत बिरसा मुंडा से डरने लगी थी. वे अंदोलन करके अपने क्षेत्र को बचा रहे थे.
-भारत ने सदैव विश्व शांति के लिए काम किया है. गरीबी हटाने, क्लाइमेट चेंज और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान में भारत अग्रणी भूमिका है. इसके अलावा योग और आयुष को लोकप्रिय बनाने के लिए भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर काम कर रहा है.
-अटल जी की ये बातें हमें आज भी दिशा दिखाती हैं. इस धरती को एक बेहतर और सुरक्षित ग्रह बनाने में भारत का योगदान, विश्व भर के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. सयुंक्त राष्ट्र के बारे में बात करते हुए आज मुझे अटल जी के शब्द भी याद आ रहे हैं. 1977 में उन्होंने सयुंक्त राष्ट्र को हिंदी में संबोधित कर इतिहास रच दिया था.
-अभी कुछ दिन पहले ही 21 अक्टूबर, को हमने पुलिस स्मृति दिवस मनाया है. पुलिस के जिन साथियों ने देश सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए हैं, इस दिन हम उन्हें विशेष तौर पर याद करते हैं. मैं आज अपने इन पुलिसकर्मियों के साथ ही उनके परिवारों को भी याद करना चाहूंगा. पहले ये धारणा बन गई थी कि सेना और पुलिस जैसी सेवा केवल पुरुषों के लिए ही होती है. लेकिन आज ऐसा नहीं है. पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या डबल हो गई है.
Posted By : Amitabh Kumar