चीनी नागरिकों के बीच भी काफी पॉपुलर हैं पीएम मोदी, रखा गया अनोखा ‘सरनेम’
दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों (भारत और पाकिस्तान) के बीच की खाई बड़ी हो रही है और पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक पतन के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है. म्यू ने अपने लेख में लिखा है कि पिछले नौ सालों में तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन और भारत के बीच सहयोग के लिए और अधिक जगह है.
नई दिल्ली/वाशिंगटन : भारत-चीन के बीच बरसों से चल रहे सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में उपजी खटास के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी नागरिकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. अमेरिका की एक पत्रिका ‘द डिप्लोमैट’ के लेखक म्यू चुनशान ने अपने एक लेख ‘भारत को चीन में कैसे देखा जाता है?’ में लिखा है कि पीएम मोदी चीन में नेट यूज करने वाले नागरिकों (चीनी नेटिजन्स) के काफी प्रसिद्ध हैं. चीन में पीएम मोदी को प्रशंसकों ने उनका अनोखा सरनेम ‘मोदी लाओक्सियन’ रखा है, जिसका अर्थ ‘द इम्मोर्टल’ है. लाओक्सियन विशेष रूप से कुछ अजीब क्षमताओं के साथ एक बुजुर्ग अमर को संदर्भित करता है.
अनोखे सरनेम का क्या है तात्पर्य
द डिप्लोमैट के लिए अपने लेख में लेखक ने कहा कि चीनी नागरिकों की ओर से रखा गया सरनेम मोदी लाओक्सियन का तात्पर्य है कि चीन में इंटरनेट का यूज करने वाले नागरिक यह सोचते हैं कि मोदी अन्य नेताओं की तुलना में अलग और आश्चर्यजनक हैं. म्यू चुनशान ने अपने लेख में लिखा है कि भारत के बारे में चीन के नागरिकों की धारणाएं काफी जटिल हैं, लेकिन विशिष्ट रूप से श्रेष्ठता और आत्मविश्वास की भावना पर आधारित हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच खाई बड़ी
उन्होंने लिखा है कि दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों (भारत और पाकिस्तान) के बीच की खाई बड़ी हो रही है और पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक पतन के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है. म्यू ने अपने लेख में लिखा है कि पिछले नौ सालों में तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन और भारत के बीच सहयोग के लिए और अधिक जगह है.
पाकिस्तान के मुकाबले चीन से भारत का व्यापार अधिक
उन्होंने उदाहरण देते हुए लिखा है कि भारत के साथ चीन का व्यापार प्रति वर्ष करीब 115 अरब अमेरिकी डॉलर का है, जो पाकिस्तान के साथ चीन के व्यापार से कहीं अधिक है. पाकिस्तान के साथ चीन का वार्षिक व्यापार करीब 30 अरब अमेरिकी डॉलर है.
चीन पाकिस्तान को भूला नहीं है
उन्होंने लिखा है कि निश्चित रूप से चीन पाकिस्तान को भूला नहीं है, लेकिन कई चीनी नेटिजन्स के पाास दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बारे में यथार्थवादी दृष्टिकोण है. तक बहुत शांत और स्थिर है कि भारत को रोकने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करने का विचार अधिक वास्तविक होता जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच खाई व्यापक होती जा रही है.
चीन में मोदी की लोकप्रियता महत्वपूर्ण
उन्होंने लिखा कि भारत के बारे में चीनी विचार बहुत जटिल होने के बावजूद मोदी जैसे विदेशी नेता के लिए चीन में महत्व और लोकप्रियता हासिल करना एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जब दोनों देशों के बीच संबंधों को देखा जाता है. अन्य महत्वपूर्ण देशों के साथ भारत के संबंधों पर लेखक ने कहा कि चाहे वह रूस, अमेरिका या वैश्विक दक्षिण देश हों, भारत उन सभी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखता है, जो कुछ चीनी इंटरनेट यूजर्स के बीच काफी सराहनीय है.
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चीनी नागरिकों द्वारा सरनेम देना दुर्लभ
लेखक म्यू चुनशान ने आगे लिखा है कि मैं करीब 20 साल से अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए रिपोर्ट लिख रहा हूं और चीनी नेटिजन्स के लिए किसी विदेशी नेता को सरनेम देना दुर्लभ है. मोदी का सरनेम अन्य सभी से भी ऊपर है. साफ तौर पर उन्होंने चीनी जनमत पर एक अलग प्रकार की छाप छोड़ी है. उन्होंने लिखा कि मेरा एक निष्कर्ष यह है कि कुल मिलाकर दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बावजूद चीनी नागरिकों के मन में भारत के प्रति कोई द्वेष नहीं है. उन्होंने लिखा कि सीमा विवाद का जिक्र होते ही अधिकांश चीनी नेटिजन्स बहुत क्रोधित हो जाते हैं.