PM Modi Rajya Sabha : ‘आंदोलनजीवी’ पर बवाल, कांग्रेस से लेकर प्रशांत भूषण को लगी मिर्ची, सोशल मीडिया में मजे ले रहे लोग
PM Modi Rajya Sabha, andolan jivi comment, Congress, Prashant Bhushan, farmers protest पीएम मोदी ने विपक्ष को घेरते हुए उन्हें आंदोलनजीवी और परजीवी बता दिया. अब पीएम के आंदोलनजीवी और पजीवी वाले शब्द को लेकर खुब चर्चा हो रही है. कांग्रेस सहित प्रशांत भूषण को पीएम के इस शब्द से मिर्ची भी लगी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हो रही चर्चा का जवाब दिया. लेकिन इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को निशाने पर लिया. इस दौरान उन्होंने जिस शब्द का प्रयोग किया उस पर तेजी से चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया में लोग पीएम मोदी को भी ट्रोल कर रहे हैं. दरअसल पीएम मोदी ने विपक्ष को घेरते हुए उन्हें आंदोलनजीवी और परजीवी बता दिया. अब पीएम के आंदोलनजीवी और पजीवी वाले शब्द को लेकर खुब चर्चा हो रही है. कांग्रेस सहित प्रशांत भूषण को पीएम के इस शब्द से मिर्ची भी लगी है.
पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस और प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर नाराजगी जतायी है. प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया और लिखा, जो कल तक कहते थे कि मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन करके बनाया है, वह आज हमारे किसानों को नीचा दिखाने के लिए ‘आंदोलन जीव’ कह रहे हैं.
वहीं कांग्रेस ने भी ट्वीट किया और पीएम मोदी को आंदोलनजीवी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया. कांग्रेस ने पीएम मोदी की तसवीर के साथ उनके बयान को लेकर एक पोस्टर शेयर किया. उसके साथ कांग्रेस ने लिखा, जिस विचारधारा के लोगों ने आजादी के संघर्ष में अपना योगदान नहीं दिया है, उन लोगों को आंदोलन की कीमत कभी समझ नहीं आएगी.
जिस विचारधारा के लोगों ने आजादी के संघर्ष में अपना योगदान नहीं दिया है, उन लोगों को आंदोलन की कीमत कभी समझ नहीं आएगी। pic.twitter.com/B0cNUTUvx9
— Congress (@INCIndia) February 8, 2021
क्या कहा पीएम मोदी ने ?
मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है आंदोलनजीवी. उन्होंने कहा, वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का. ये हर जगह नजर आएंगे. कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे. यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते. हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा. वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं. ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं. यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं.
Posted By – Arbind kumar mishra