Kartavya Path: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के प्रतिमा का अनावरण किया. बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. उसके बाद पीएम मोदी ने कर्तव्य पथ का भी उद्घाटन किया है. बता दें कि दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर आज कर्तव्य पथ कर दिया गया है.इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नयी ऊर्जा मिली है.
1. ‘हमारे द्वारा लिये गए निर्णय नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप’
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था.
2. ‘राजपथ आज से इतिहास, कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन’
उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
3. ‘नेताजी की मूर्ति स्थापना कर आधुनिक और सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा’
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति स्थापित करने पर उन्होंने कहा कि गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक और सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.
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4. ‘सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश अलग ऊंचाइयों पर होता’
पीएम मोदी ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश अलग ऊंचाइयों पर होता. लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया.
5. ‘आज भारत के संकल्प अपने हैं, आदर्श अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं’
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो यह गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है.