नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने पूर्व जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच कमेटी गठित करने पर अपनी सहमति जता दी है. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और पंजाब सरकार से फिलहाल जांच रोकने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया गया है. इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा, ‘पंजाब सरकार ने भी माना है कि सुरक्षा में चूक हुई है, लेकिन हम यह तय कर रहे हैं कि जांच का दायरा क्या होगा?’
इससे पहले सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने सर्वोच्च अदालत से मांग की थी कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और एक कमेटी उसकी देखरेख में गठित की जाए. हालांकि, केंद्र का कहना था कि उसकी ओर से एक कमेटी पहले से बनाई गई है. केंद्र कमेटी की जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगा और समीक्षा करके उसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट कार्रवाई तय करे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इस पर राजी नहीं हुआ.
बताते चलें कि सर्वोच्च अदालत ने पिछले शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पीएम मोदी की पंजाब यात्रा के मद्देनजर किये गये सुरक्षा उपायों से संबंधित रिकॉर्ड को सुरक्षित और संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. पीठ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग गठित जांच समितियों को सुनवाई की अगली तारीख (10 जनवरी) तक जांच का काम आगे न बढ़ाने को कहा था. हालांकि पीठ ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं दिया था, बल्कि संबंधित वकीलों को मौखिक तौर पर कहा था कि वे अदालत की भावनाओं से संबंधित अधिकारियों को अवगत कराएं.
पीठ ने कहा था कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी. पंजाब सरकार, इसकी पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों से अपेक्षित रिकॉर्ड हासिल करने वाला यह अधिकारी महानिरीक्षक पद से नीचे का नहीं होगा.
याचिकाकर्ता ‘लॉयर्स वॉयस’ ने पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक की व्यापक जांच की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में इस तरह की घटना न हो. याचिका में सुरक्षा व्यवस्थाओं से संबंधित साक्ष्य को संरक्षित रखने, अदालत की निगरानी में जांच किये जाने तथा इस कथित चूक के लिए जिम्मेदार पंजाब सरकार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई है.