प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनवरी में पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले की जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने पाया है कि फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पर्याप्त बल उपलब्ध होने के बावजूद अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे. इधर भाजपा ने कांग्रेस पर इस मामले में बड़ा हमला किया. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, कांग्रेस के इशारे में पीएम की सूरक्षा में चूक हुई. यह सुनियोजित मामला था.
क्या होता है ब्लू बुक
समिति ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि एक निगरानी समिति होना चाहिए जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे पुलिस अधिकारियों के लिए संवेदनशीलता एवं सुरक्षा पाठ्यक्रम तथा ब्लू बुक की समय समय पर समीक्षा करे और उसे अद्यतन करे. ब्लू बुक सुरक्षा से संबंधित दिशानिर्देशों का एक दस्तावेज होता है, जिसमें अति विशिष्ट लोगों (वीवीआईपी) की सुरक्षा को लेकर पालन किये जाने वाले नियमों का ब्यौरा होता है. ब्लू बुक में राज्य के अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते अपनाई जाने वाली एक स्पष्ट और विस्तृत प्रक्रिया होती है.
पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को उचित कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को उचित कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेजेगा. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने समिति की रिपोर्ट को पढ़ते हुए कहा, फिरोजपुर के एसएसपी अवनीत हंस कानून-व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे. पर्याप्त बल उपलब्ध होने के बावजूद और प्रधानमंत्री के मार्ग पर प्रवेश की सूचना दो घंटे पहले देने के बावजूद वह ऐसा करने में विफल रहे. पीठ ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा, पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध होने के बावजूद वह ऐसा करने में विफल रहे जबकि उन्हें दो घंटे पहले सूचित किया गया था कि प्रधानमंत्री उस मार्ग से गुजरेंगे.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि पांच जनवरी को फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों की नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर फंस गया था जिसके बाद वह एक रैली समेत किसी भी कार्यक्रम में शिरकत किए बिना ही लौट आए थे. उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा में हुई चूक की जांच के लिए 12 जनवरी को शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की थी और कहा था कि सवालों को एकतरफा जांच पर नहीं छोड़ा जा सकता और न्यायिक क्षेत्र के व्यक्ति द्वारा इसे देखे जाने की आवश्यकता है.