ब्रिटेन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की. उन्होंने पीएम मोदी को उनकी नयी भूमिका के लिए बधाई देने के वास्ते धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि वह इस बात से उत्साहित हैं कि दो महान लोकतांत्रिक देश क्या हासिल कर सकते हैं क्योंकि हम अपने सुरक्षा, रक्षा एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने में लगे हैं.
पीएम मोदी ने सुनक को कार्यभार संभालने के लिए बधाई दी
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के अपने समकक्ष सुनक से फोन पर बात की और उन्हें कार्यभार संभालने पर बधाई दी. मोदी ने ट्वीट किया, आज ऋषि सुनक से बात कर बहुत खुशी हुई. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने पर मैंने उन्हें बधाई दी. हम अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे. मोदी ने कहा कि एक व्यापक और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र समापन के महत्व पर भी वह और सुनक सहमत हुए.
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सुनक बोले- आने वाले समय में सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे
पीएम मोदी से फोन पर बात करने के बाद सुनक ने कहा, मैं अपनी नयी भूमिका शुरू करने के लिए बधाई देने के वास्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त करता हूं. ब्रिटेन और भारत में बहुत कुछ है. मैं इस बात से उत्साहित हूं कि हमारे दो महान लोकतंत्र क्या हासिल कर सकते हैं क्योंकि हम आने वाले महीनों और वर्षों में अपनी सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे.
ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री बनकर सुनक ने रचा इतिहास
ऋषि सुनक (42) ने मंगलवार को भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया. उन्हें दिवाली के दिन कंजर्वेटिव पार्टी का निर्विरोध नया नेता चुना गया था. ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री सुनक हिंदू हैं और वह पिछले 210 साल में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री हैं.
सुनक के प्रधानमंत्री बनने से भारत को हो सकता है लाभ
भारत और ब्रिटेन ने जनवरी में मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की थी और दिवाली तक वार्ता समाप्त किये जाने का उद्देश्य था, लेकिन मुद्दों पर आम सहमति की कमी के कारण समय सीमा चूक गई. सुनक के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ में जाने के साथ भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार सौदे को बहुत जरूरी गति मिलने की संभावना है. विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए वार्ता को तेज करने में मदद करेगी, जो संभावित रूप से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर सकती है.