न्यूयार्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केवल सुधरे हुए रूप में ही बहुपक्षवाद मानवता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मूल रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के रोष से पैदा हुआ था और कोविड-19 के प्रकोप ने इसे ‘‘पुनर्जन्म और सुधार” के नये अवसर उपलब्ध कराये हैं .
संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) के उच्च स्तरीय सत्र को वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ आज की दुनिया में इसकी भूमिका और महत्ता के आकलन का अवसर है. उन्होंने कहा कि इसके गठन के बाद से बहुत कुछ बदल गया है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देश हैं और इसकी सदस्यता के साथ-साथ संगठन से उम्मीदें भी बढ़ी हैं.
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उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर बहुपक्षवाद को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘ भारत का दृढ़ मत है कि स्थायी शांति और समृद्धि को बहुपक्षीय माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है.” मोदी ने कहा, ‘‘बहुपक्षवाद में सुधार को केन्द्र में रखकर मानवता की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है.”
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्षों का जश्न मनाते हुए सभी देशों से आग्रह किया कि वे वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार करने का संकल्प लें. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता, इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने और इसे एक नए प्रकार के मानव-केंद्रित वैश्वीकरण का आधार बनाने का भी आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ‘‘ संयुक्त राष्ट्र मूल रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के रोष से पैदा हुआ था और कोविड-19 के प्रकोप ने इसे ‘‘पुनर्जन्म और सुधार” के नये अवसर उपलब्ध कराये है. आइए हम यह मौका न गंवाएं.” कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘भूकंप हो, चक्रवात हो या कोई अन्य प्राकृतिक या मानव निर्मित संकट, भारत ने तेजी और एकजुटता के साथ जवाब दिया है.
कोविड के खिलाफ हमारी संयुक्त लड़ाई में हमने 150 से अधिक देशों की सहायता की है.” उन्होंने कहा, ‘‘हमने सार्क कोविड आपातकालीन निधि बनाने में भी मदद की.” उन्होंने कहा, ‘‘ महामारी ने सभी देशों के धैर्य की कठिन परीक्षा ली. भारत में हमने सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों से महामारी के खिलाफ लड़ाई को जन आंदोलन बनाने का प्रयास किया.