Bharat Ratna : चौधरी चरण सिंह आजीवन देश और किसानों के लिए लड़े, जानें कैसे बने थे प्रधानमंत्री
चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली थी और गाजियाबाद से उन्होंने वकालत की प्रैक्ट्रिस शुरू की थी. चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे, यही वजह था कि उन्होंने डांडी मार्च और सत्याग्रह आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया.
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजे जाने की घोषणा हुई है. यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडिल एक्स पर की है. चौधरी चरण सिंह को किसानों का नेता माना जाता है. उन्होंने ग्रामीण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा -यह हमारी सरकार का सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को सम्मानित किया जा रहा है. देश के लिए उनके अभूतपूर्व योगदान की वजह से उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. वे किसानों के लिए हमेशा लड़े और इमरजेंसी के दौरान भी डटे रहे.
जाट परिवार में हुआ था जन्म
चौधरी चरण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के एक जाट परिवार में 1902 में हुआ था. उन्होंने आजादी के वक्त राजनीति में कदम रखा और आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे. चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली थी और गाजियाबाद से उन्होंने वकालत की प्रैक्ट्रिस शुरू की थी. चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे, यही वजह था कि उन्होंने डांडी मार्च और सत्याग्रह आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया.
देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने
इमरजेंसी के बाद जब देश में सरकार बनी तो मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में वे उपप्रधानमंत्री बनें. मोरारजी देसाई की सरकार जब गिर गई तो चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली. हालांकि चौधरी चरण सिंह की सरकार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और सहयोगियों के समर्थन वापस लेने की वजह से सरकार गिर गई.
गरीबों और किसानों के लिए काम
चौधरी चरण सिंह को उनके भूमि सुधार कानूनों का मसौदा तैयार करने और उसे लागू करवाने के लिए हमेशा याद किया जाता है. वे 1960 के दशक में कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे. उन्होंने किसानों की इतनी वकालत की कि किसानों ने उन्हें निर्विवाद रूप से अपना नेता मानते थे. प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद भी चौधरी चरण सिंह अपनी पार्टी लोकदल के जरिए आजीवन किसानों और गरीबों के हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे. 29 मई 1987 को उनका निधन हुआ. अजीत सिंह उनके पुत्र और जयंत सिंह उनके पौत्र हैं.
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