PM Narendra Modi/SCO Summit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान के हालात के बाद चुनौती और बढ़ गई है. शांति और सुरक्षा को लेकर चिंता करने की जरूरत है. बढ़ती कट्टरता से निबटने की हमें जरूरत है. दुनिया में बढ़ती कट्टरता से परेशानी बढ़ी है.
संबोधन की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस साल हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़े हैं. मैं ईरान का एससीओ के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है.
Also Read: खालिस्तानी आतंकवादी समूह ने दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी, कहा- नहीं सोने देंगे चैन से
आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इन चुनौतियों को और स्पष्ट कर दिया है. इस मुद्दे पर SCO को पहल लेकर काम करना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन को ऑनलइन संबोधित करते हुए कहा कि मैं, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नए सदस्य के तौर पर ईरान का स्वागत करता हूं. मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है. क्षेत्र की समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों ने कट्टरपंथ से उत्पन्न चुनौती को और अधिक स्पष्ट कर दिया है. एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा एवं समावेशी संस्थानों और परम्पराओं के बीच मजबूत सम्पर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए.
एससीओ बैठक को ऑनलाइन संबोधित करते हुए इमरान खान की मौजदूगी में प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान का जिक्र कर कहा कि क्षेत्र में बढ़ती कट्टरता शांति की राह में बड़ी चुनौती बन गई है. अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख किया और कहा कि संगठन के सदस्य देशों को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.
एससीओ परिषद के सदस्य देशों के प्रमुखों की 21वीं बैठक शुक्रवार को हाइब्रिड प्रारूप में दुशांबे में आरंभ हुई. इसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिये दुशांबे में हैं. एससीओ की इस बैठक में अफगानिस्तान संकट, क्षेत्रीय सुरक्षा, सहयोग एवं सम्पर्क सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी. पहली बार एससीओ की शिखर बैठक हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित की जा रही है और यह चौथी शिखर बैठक है जिसमें भारत एससीओ के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहा है.
हाईब्रिड प्रारूप के तहत आयोजन के कुछ हिस्से को डिजिटल आधार पर और शेष हिस्से को आमंत्रित सदस्यों की प्रत्यक्ष उपस्थिति के माध्यम से संपन्न किया जाता है. इस बैठक का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता है क्योंकि संगठन इस वर्ष अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है. उल्लेखनीय है कि एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी और भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना.
Posted By : Amitabh Kumar