पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर पहले कई तरह की शंका लोगों के मन में थी. लेकिन पर्यावरण और प्रकृति के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण पारंपरिक चिकित्सा को लेकर लोगों की धारणा बदली है. अब भारत ही नहीं दुनिया के देश इस पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को ना सिर्फ अपना रहे हैं, बल्कि इसे प्रोत्साहित करने का काम भी कर रहे हैं. गुजरात के गांधीनगर में आयोजित पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उक्त बातें कही.
पीएम मोदी ने स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ पर्यावरण का होना बेहद जरूरी है. स्वस्थ जीवन के लिए लोगों के साथ ही सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधों और प्रकृति को स्वस्थ बनाना बेहद जरूरी है और इस लक्ष्य को हासिल करने में पारंपरिक चिकित्सा अहम रोल अदा कर सकता है. कोरोना संकट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी ने यह सबक सिखाया कि सभी मिलकर ही ऐसी भयावह स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. साथ ही स्वस्थ जीवन के लिए मोटे अनाज का प्रयोग करने पर भी उन्होंने जोर दिया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव ट्रेडोस घेब्येययस ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के प्रयासों की एक बार फिर से तारीफ करते हुए कहा कि पारंपरिक चिकित्सा मौजूदा समय की जरूरत है. यह सस्ती होने के साथ ही काफी कारगर है और आम लोगों की पहुंच के दायरे में है. इस मौके पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिश के कारण ही पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. देश में इसे बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय का गठन किया गया और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में कई तरह के शोध किए जा रहे हैं. दुनिया में इसे बढ़ावा देने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उठाये गये कदमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन प्रयासों से दुनिया को स्वस्थ बनाने में मदद मिलेगी.
सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में करने के उपायों पर विचार किया गया. दुनिया के विशेषज्ञों ने कहा कि इस तकनीक के प्रयोग से पारंपरिक चिकित्सा को और बेहतर बनाया जा सकता है. इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. सम्मेलन में बताया गया कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मौजूदा स्वास्थ्य सेवा को और कारगर बना सकता है. इस दौरान योग और ध्यान का विशेष सत्र भी आयोजित किया गया.