भारत की जी20 अध्यक्षता और जापान की जी7 अध्यक्षता के भारत और जापान के मैत्री संबंध काफी पुराने हैं और आज जबकि भारत जी20 और जापान जी7 की अध्यक्षता कर रहा है, यह जरूरी है कि दोनों देश साथ मिलकर काम करें, यह एक सुअवसर है. उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ बातचीत के बाद कही.
वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को भारत की जी20 की अध्यक्षता की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने मुझे मई में हिरोशिमा में आयोजित होने वाली जी7 की बैठक में शामिल होने का न्यौता दिया है, जिसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं.
#WATCH | I will announce my new plan on Free and Open Indo-Pacific (FOIP) at a lecture event hosted by ICWA. It gives me great pleasure to be able to unveil my new vision on the soil of India which is our indispensable partner in realising FOIP: Japanese PM Fumio Kishida pic.twitter.com/6Htwr1pqGq
— ANI (@ANI) March 20, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले एक साल में हम कई बार मिले हैं, यह मुलाकात दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने में सहायक है. उम्मीद है आने वाले दिनों में जब हम दोबारा मिलेंगे तो हमारे संबंध और निखरेंगे. भारत और जापान के विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी हमारे आपसी लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मान पर आधारित है.
बातचीत के दौरान दोनों देशों ने वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के विस्तार का संकल्प लिया और कहा कि दोनों देशों के साथ रहने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता रहेगी. पीएम मोदी ने इस मौके पर भारत में पांच लाख करोड़ येन (3,20,000 करोड़ रुपये) के निवेश के जापान के लक्ष्य का उल्लेख भी किया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में संतोषजनक कार्य हो रहा है.
वहीं वार्ता के बाद जापान के पीएम किशिदा ने कहा कि भारत के साथ हमारा जो आर्थिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है, वह न केवल भारत को विकास के रास्ते पर आगे लेकर जायेगा, बल्कि जापान के लिए भी महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर पैदा करेगा.
गौरतलब है कि जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा आज भारत पहुंचे हैं वे यहां रक्षा, व्यापार व निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के मुद्दे पर बातचीत करेंगे. मोदी और किशिदा के बीच व्यापक वार्ता में चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति के बारे में भी चर्चा होने की संभावना है.
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