नयी दिल्ली : ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर आज शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे. जलवायु परिवर्तन पर ‘पेरिस समझौता’ एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है.
PM Narendra Modi will be addressing the Climate Ambition Summit 2020 tonight, on the fifth anniversary of the Paris Agreement. UN, UK and France co-hosting the summit in partnership with Chile and Italy. UN Secretary-General, UK PM and French President to also address the Summit. pic.twitter.com/SbS6nmcO1q
— ANI (@ANI) December 12, 2020
यूएन, यूके और फ्रांस ने चिली और इटली के साथ साझेदारी में शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी की है. शिखर सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव, यूके के प्रधानमंत्री और फ्रांसीसी राष्ट्रपति भी संबोधित करेंगे.
मालूम हो कि जलवायु परिवर्तन और उससे उत्पन्न दुष्प्रभावों से निबटने के लिए पहली बार सभी देश कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के तहत एकजुट हुए थे. पेरिस में साल 2015 में 12 दिसंबर को 196 देशों ने इसे स्वीकार किया था और यह चार नवंबर, 2016 से लागू हुआ.
पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर ब्रिटेन ने वर्चुअल वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है.
उन्होंने कहा कि पिछले सौ वर्ष से पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभावों का नतीजा है जलवायु परिवर्तन. अमरीका ने ग्रीन हाउस गैसों का 25, यूरोप ने 22 और चीन ने 13 फीसदी उत्सर्जन किया है. इन गैसों के कुल उत्सर्जन में भारत का हिस्सा मात्र तीन फीसदी है.
जलवायु परिवर्तन के लिए भारत किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है. लेकिन, दुनिया के एक जिम्मेदार देश के रूप में भारत ने जलवायु परिवर्तन से निबटने के अभियान में योगदान दिया है. भारत वर्तमान में कुल वैश्विक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में मात्र 6.8 फीसदी ही उत्सर्जित करता है.
भारत साल 2030 तक उत्सर्जन को सकल घरेलू उत्पाद के 33 से 35 फीसदी तक कम करने को लेकर प्रतिबद्धता जतायी है. इसमें से भारत पहले ही 21 फीसदी हासिल कर चुका है और शेष अगले दस वर्ष में हासिल किया जायेगा. भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो पेरिस समझौते का पालन करते हैं.
जलवायु पारदर्शिता रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करनेवाला जी-20 का एकमात्र देश है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम-यूएनईपी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में भारत का उत्सर्जन एक दशमलव चार प्रतिशत बढ़ा है, जो पिछले एक दशक में प्रतिवर्ष औसतन तीन दशमलव तीन प्रतिशत से बहुत कम है.