PM modi, Narendra modi: कोरोना महामारी के विश्वव्यापी संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया के सबसे बड़े मंच से अपना संदेश देंगे. पीएम मोदी शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को वर्चुअल संबोधित करेंगे. यह संबोधन संयुक्त राष्ट्र की 75वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में होगा. पीएम मोदी का ये भाषण सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
यूएन (सुरक्षा परिषद) का अस्थायी सदस्य बनने के बाद पीएम मोदी का यह पहला संबोधन होगा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आज रात 8.30 बजे से 11.00 बजे (स्थानीय समय) के बीच न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में संबोधन देंगे. वह नॉर्वे के प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ समापन सत्र में बोलेंगे. दुनिया इस वक्त बड़े संकट से गुजर रही है. एक ओर कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया पर भारी है तो दूसरी ओर चीन की विस्तारवादी नीतियां दुनिया को जंग की तरफ धकेल रही हैं.
भारत की चीन के साथ एलएसी को लेकर तनातनी जारी हैं. वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ भी चीन का विवाद जारी है. दक्षिण चीन सागर में चीन के विस्तारवाद को रोकने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और जापान जैसे देश कमर कस चुके हैं, लेकिन चीन का अड़ियल रवैया अब भी संकट बढ़ा रहा है. पूर्वी लद्दाख में एलएसी विवाद पर भारत ने जिस तरह का जवाब चीन को दिया उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी.
गलवान घाटी की घटना के बाद यह पहला मौका है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय भाषण देने जा रहे हैं. पीएम मोदी के भाषण पर दूरी दुनिया की निगाहें हैं. पीएम मोदी ने इससे पहले पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था. तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी. उन्होंने अपने संबोधन में महात्मा गांधी, स्वच्छता, आतंकवाद जैसे मुद्दों का जिक्र किया. माना जा रहा है कि आज एक बार फिर पीएम मोदी के संबोधन से बुद्ध की धरती से, बापू के देश से दुनिया को एक बार फिर संकट से लड़ने की वैचारिक संजीवनी मिलेगी.
भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के चुनाव में जीत के बाद यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे. भारत दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है. भारत के पक्ष में 192 में से 184 वोट पड़े थे. भारत का पिछला कार्यकाल 1 जनवरी, 2021 को खत्म होना था. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, रूस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं. इसके अलावा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं. इसमें से आधे हर साल दो साल के लिए चुने जाते हैं.