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वामपंथियों के गढ़ JNU में बोले पीएम मोदी विचारधारा को हमेशा राष्ट्रहित में खड़ा होना चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra modi) ने कहा कि अपने अतीत पर गर्व करना तो अच्छी बात है, लेकिन हमें 21वीं सदी में कुछ ऐसा करना है कि हम भारत पर गर्व कर सकें. जेएनयू (JNU) जैसे कैंपस इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं, ताकि हम अपने देश पर गर्व कर सकें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2020 7:37 PM
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नयी दिल्ली : जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं. आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आये थे. उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था. हमारी विचारधारा को हमेशा राष्ट्रहित में खड़ा होना चाहिए. पीएम मोदी ने यह बात जेएनयू कैंपस में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कही.

इमरजेंसी के दौरान भी देश ने यही एकजुटता दिखाई थी. मैं खुद इसका गवाह हूं. इमरजेंसी के दौरान उस उस आंदोलन में कांग्रेस के कई पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे. आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे. समाजवादी लोग भी थे और कम्युनिस्ट भी थे. इस एकजुटता में इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था. बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित. ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था. जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है.

PM मोदी ने कहा अपने अतीत पर गर्व करना तो अच्छी बात है, लेकिन हमें 21वीं सदी में कुछ ऐसा करना है कि हम भारत पर गर्व कर सकें. जेएनयू जैसे कैंपस इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं, ताकि हम अपने देश पर गर्व कर सकें. गौरतलब है कि जेएनयू वामपंथी विचारधारा के लोगों का गढ़ है. यही कारण है कि यहां के छात्र कैंपस में स्वामी जी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रहे हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी है.

पीएम मोदी ने कहा- मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे. ये प्रतिमा वो साहस दे, संबल दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे. ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, सहानुभूति सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है.

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स्वामी जी ने कहा था कि निसंदेह 21 वीं सदी भारत की होगी और आप जैसे ऊर्जावान युवा इस बात को सही साबित कर सकते हैं. हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है, लेकिन हमारा लक्ष्य सिर्फ फिजिकल आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है. यह गतिशील है और एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करता है. एक राष्ट्र तभी आत्मनिर्भर बनता है जब कोई राष्ट्र सोच, व्यवहार और संसाधनों में आत्मनिर्भर हो.

देश का युवा दुनियाभर में Brand India का प्रतिनिधित्व करता है. हमारे युवा भारत की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है.

Posted By : Rajneesh Anand

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