PM:भारत को वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनाने की कवायद
ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत को अव्वल देश बनाने की है. ताकि ऊर्जा के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बने और देश की आर्थिक गति तेज हो सके. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा समय में दुनिया एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रही है.
PM:देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को शुरू किया है. सरकार की कोशिश ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत को अव्वल देश बनाने की है. ताकि ऊर्जा के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बने और देश की आर्थिक गति तेज हो सके. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा समय में दुनिया एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रही है.
जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन चुकी है और इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है. भारत हरित ऊर्जा पर पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने को लेकर लगातार काम कर रहा है. भारत ने पिछले साल में में गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 फीसदी और सौर ऊर्जा क्षमता में 3000 फीसदी से अधिक की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा जरूरत को पूरा करने की दिशा में एक नया विकल्प बन रहा है. इससे रिफाइनरी, उर्वरक, इस्पात, भारी शुल्क वाले परिवहन और ऐसे कई क्षेत्र को लाभ मिलेगा. हमारी कोशिश भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने की है.
इस क्षेत्र में 8 लाख करोड़ रुपये निवेश की है संभावना
केंद्रीय न्यू एंड रिन्यूवल एनर्जी मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आने वाले समय में 8 लाख करोड़ रुपये निवेश की संभावना है और इससे 6 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. यह नहीं इससे प्राकृतिक गैस और अमोनिया पर दूसरे देशों की निर्भरता कम होगी और करीब एक लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है.
इस मिशन के तहत सरकार ने वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 5 मिलियन मीट्रिक टन कम करने का लक्ष्य रखा है. वहीं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, उसमें ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी शामिल है. कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 100 बिलियन डॉलर का निवेश करना होगा और 125 गीगावाट न्यू एंड रिन्यूवल एनर्जी का उत्पादन करना होगा. ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इसके अलावा रिसर्च पर भी काम हो रहा है.