असम के सिलचर में 12 बच्चे सहित 26 रोहिंग्या को पुलिस ने पकड़ा, जानिए कौन है रोहिंग्या
सिलचर में 12 बच्चे समेत 26 रोहिंग्या को पुलिस ने हिरासत में लिया है. सभी म्यंमार के नागरिक बताए जा रहे हैं. उनके पास ज्यादा दस्तावेज नहीं है. वे कल रात जम्मू से ट्रेन से गुवाहाटी पहुंचे क्योंकि उन्हें किसी ने जमाना बजार आने के लिए संपर्क किया था.
असम के सिलचर (Silchar Assam) में 12 बच्चे समेत 26 रोहिंग्या को पुलिस ने हिरासत में लिया है. सभी म्यंमार (myanmar) के नागरिक बताए जा रहे हैं. उनके पास ज्यादा दस्तावेज नहीं है. एएनआई से बात करते हुए कछार एसपी रमनदीप कौर ने बताया कि वे कल रात जम्मू से ट्रेन से गुवाहाटी पहुंचे क्योंकि उन्हें किसी ने जमाना बजार आने के लिए संपर्क किया था. फिलहाल पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.
Assam | 26 Rohingyas incl 12 children found in Silchar. They are Myanmar nationals. They don't have many documents. They arrived in Guwahati by train from Jammu last night as somoene had contacted them to come to Jamna Bazaar area. Probe on: SP Cachar Ramandeep Kaur pic.twitter.com/7fWcFoM7Dg
— ANI (@ANI) May 29, 2022
रोहिंग्या म्यांमार के नागरिक
रोहिंग्या अपने आप को म्यांमार का नागरिक मानते हैं. हालांकि, म्यंमार की सरकार इन्हें अवैध बांग्लादेशी प्रवासी मानती है और नागरिकता देने से इंकार करती है. 2016-17 संकट से पहले म्यांमार में क़रीब 8 लाख रोहिंग्या लोग रहते थे और यह लोग इस देश की सरज़मीन पर सदियों से रहते आए हैं, लेकिन बर्मा के बौद्ध और वहां की सरकार रोहिंग्या को अपना नागरिक नहीं मानती है. युनाइटेड नेशंज़ के मुताबिक़ रोहिंग्या लोग दुनिया के सबसे उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूहों में से एक है.
क्या है रोहिंग्या का इतिहास
साल 1948 में बर्मा को अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिली. बर्मा की आजादी की लड़ाई में रोहिंग्या मुसलमानों का काफी अहम् योगदान था. देश की आजादी के बाद रोहिंग्या समुदाय को आधिकारिक पदों पर नौकरियां मिली. हालाँकि, 1960 के दशक से रोहिंग्या समुदाय के साथ अन्याय शुरू हो गया. उन्हें अल्पसंख्यक मानकर उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया. इसके बाद साल 1982 में जब देश में बर्मा राष्ट्रिय कानून पारित किया गया था, तो इसमें रोहिंग्या को देश की जनता के रूप में कोई जगह नहीं दी गयी.
म्यांमार ने रोहिंग्या पर लगाया प्रतिबंध
1982 म्यांमार राष्ट्रीयता क़ानून के तहत रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबन्धित है. वे आंदोलन की स्वतंत्रता, राज्य में शिक्षण प्राप्त करने से और नागरिक सेवा में काम करने से भी प्रतिबन्धित हैं. वहीं, म्यांमार में रोहिंग्या की क़ानूनी अवस्था को दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद नीति यानि अपार्थीड के साथ तुलना हुई है. बड़ी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश और थाईलैंड की सरहदों पर स्थित शरणार्थी कैंपों में अमानवीय हालातों में रहते हैं.