Police: आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस को तैयार करना जरूरी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, जेल अधिकारियों व फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो में अपराध के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए ताकि भविष्य में अपराध को रोकने में मदद मिल सके.
Police: अपराध के कारणों का पता लगाने और जमीनी स्तर पर पुलिसिंग में आने वाली समस्या का समाधान किया जाना चाहिए. पुलिस बलों को जरूरी संसाधन मुहैया कराकर पुलिसिंग के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए स्मार्ट बल में बदलने की आवश्यकता है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के कामकाज की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही. बैठक में गृह सचिव गोविंद मोहन, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरोके महानिदेशक राजीव कुमार शर्मा सहित गृह मंत्रालय और ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
गृह मंत्री ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के छह प्रभागों के साथ-साथ क्षेत्रीय कार्यालयों की उपलब्धियों, चल रहे कार्यों और भावी योजना की जानकारी हासिल की. साथ ही नये आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए ब्यूरो के कार्यों की समीक्षा की. बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
अपराध के कारणों का विश्लेषण जरूरी
गृह मंत्री ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, जेल अधिकारियों व फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो में अपराध के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए ताकि भविष्य में अपराध को रोकने में मदद मिल सके. उन्होंने विभिन्न शोध अध्ययनों और परियोजनाओं में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों और विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करने को कहा. पुलिस बलों को आधुनिक सुविधा मुहैया कराने और पुलिस की सार्वजनिक छवि को बेहतर बनाने के लिए ब्यूरो को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया.
अमित शाह ने नए आपराधिक कानूनों के प्रशिक्षण और क्रियान्वयन, मौजूदा पुलिस और जेल प्रक्रियाओं एवं प्रथाओं को बेहतर बनाकर पुलिस बलों के आधुनिकीकरण और नए युग की चुनौतियों से निपटने के लिए ब्यूरो के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मंत्रालय को जोड़ने वाली नोडल एजेंसी के रूप में ब्यूरो की भूमिका पर जोर दिया. साथ ही पुलिसिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ मॉडल की आवश्यकता के साथ-साथ आपराधिक न्याय प्रणाली के हितधारकों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और मंत्रालय की समस्या की पहचान और प्रभावी समाधानों के लिए भागीदारी बढ़ाने को कहा.