Police Smriti Diwas: देश से उग्रवाद और नक्सलवाद लगभग खत्म हो चुका है. लेकिन आंतरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौतियां बनी हुई है क्योंकि आतंकवादी नयी तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग कर रहे है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों से आतंकवाद और कई राज्यों से नक्सलवाद का लगभग सफाया कर दिया है. लेकिन आतंकियों के नयी तकनीक के इस्तेमाल को देखते हुए सुरक्षा बलों को इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. सोमवार को पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए तीन नये आपराधिक कानून को लागू किया है. इन कानूनों के तहत तीन साल में लोगों को न्याय मिलेगा और न्यायपालिका में लंबित मामलों की संख्या में कमी आयेगी. तीन नये आपराधिक कानून बनाने का काम पांच साल पहले शुरू किया गया था और आने वाले तीन साल में इसका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सकेगा. गृह मंत्री ने कहा कि जल्द ही प्रधानमंत्री चंडीगढ़ में पुलिस यूनिट का शुभारंभ करेंगे और इसके बाद सभी राज्यों में नये आपराधिक कानून को क्रियान्वित करने का काम शुरू हो जायेगा.
क्यों मनाया जाता है पुलिस स्मृति दिवस
गृह मंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर 1959 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों ने चीनी सेना का डटकर मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी. इस बलिदान को याद करने के लिए पुलिस स्मृति दिवस के तौर पर मनाया जाता है. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद निर्णय लिया कि जवानों के बलिदान के सम्मान में एक पुलिस स्मारक बनाया जाना चाहिए. यह पुलिस स्मारक हमारे युवाओं को प्रेरणा देता रहेगा और नागरिकों को ये स्मरण कराता रहेगा कि आज हम सुरक्षित हैं और विकास के रास्ते पर चल रहे हैं.
इसके पीछे इन हजारों जवानों का सर्वोच्च बलिदान है.अब तक देश की रक्षा में 36468 पुलिस बलों के कर्मियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. मौजूदा समय में ड्रोन के उभरते खतरे, नार्कोटिक्स कारोबार, साइबर अपराध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये अशांति और धार्मिक भावनाएं भड़काने की साजिश, घुसपैठ, अवैध हथियारों की तस्करी और आतंकवाद जैसी चुनौतियां है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुरक्षा बल खुद को तैयार कर रहे हैं.